संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के सभी 14 सदस्य देशों ने बुधवार को ग़ाज़ा में जारी अकाल को “मानव निर्मित” करार दिया। केवल अमेरिका ने इस बयान से खुद को अलग रखा।
परिषद ने अपने साझा बयान में तुरंत, बिना शर्त और स्थायी युद्धविराम, सभी बंधकों की रिहाई, ग़ाज़ा में व्यापक मानवीय सहायता पहुंचाने और इस्राइल से सभी प्रतिबंध हटाने की अपील की।
बैठक में वक्ताओं ने चेतावनी दी कि ग़ाज़ा की स्थिति बेहद विनाशकारी है और आधिकारिक तौर पर अकाल घोषित हो चुका है। संयुक्त राष्ट्र के पश्चिम एशिया शांति प्रक्रिया के उप विशेष समन्वयक रामिज़ अलक़बरॉव ने कहा, “आज दुनिया भय से देख रही है कि कब्ज़े वाले फ़िलिस्तीनी इलाक़े की स्थिति हालिया इतिहास में सबसे बदतर स्तर तक गिर चुकी है।”
उन्होंने बताया कि 22 महीने से जारी संघर्ष में ग़ाज़ा लगातार नागरिक हताहतों, बड़े पैमाने पर विस्थापन और अब अकाल का सामना कर रहा है। वहीं वेस्ट बैंक में बस्तियों का विस्तार, तोड़फोड़ और हिंसा तेज़ हो गई है।
आंकड़ों के मुताबिक, 23 जुलाई से अब तक कम से कम 2,553 फ़िलिस्तीनी मारे गए, जिनमें 271 लोग मदद लेने की कोशिश के दौरान मारे गए।
पत्रकार भी निशाने पर हैं — अब तक 240 पत्रकार मारे जा चुके हैं। 25 अगस्त को नासिर अस्पताल पर इस्राइली हमले में 20 नागरिकों की मौत हुई। अलक़बरॉव ने महासचिव की अपील दोहराते हुए कहा कि इसकी स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।
सेव द चिल्ड्रन इंटरनेशनल की सीईओ इंगर ऐशिंग ने कहा, “ग़ाज़ा में बच्चों को योजनाबद्ध तरीके से भूखा रखा जा रहा है। यह अकाल जानबूझकर पैदा किया गया है, जिसमें इस्राइल भूख को युद्ध का हथियार बना रहा है।”
उन्होंने बताया कि क्लीनिकों में अब कुपोषित बच्चे पड़े हैं, जिनमें बोलने या रोने तक की ताक़त नहीं बची है। हज़ारों ट्रक मानवीय मदद बॉर्डर पर रुके हैं। बच्चे सिर्फ़ खाने की दुआ मांगते हैं — कई बच्चे मरने की ख्वाहिश तक जताते हैं। एक बच्चे ने लिखा, “काश मैं स्वर्ग में होता जहाँ मेरी माँ है — वहाँ खाना और पानी है।”
इस बीच, अमेरिका की कार्यवाहक राजदूत डोरोथी शीया ने IPC रिपोर्ट की विश्वसनीयता और निष्पक्षता पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा, “हम मानते हैं कि ग़ाज़ा में भूख एक गंभीर मुद्दा है और मानवीय ज़रूरतें पूरी करना हमारी प्राथमिकता है।”