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दिल्ली में एम्बुलेंस वाले उठा रहे हैं मजबूरी का फायदा, 4 km के लिए वसूल रहे हैं 10 हज़ार, आईपीएस बोले “दुनिया हमारे नैतिक मूल्यों को देख रही है”

कोरोना महामारी ने पूरे देश को अपनी चपेट में ले लिया है। कोरोना की दूसरी लहर और ज़्यादा खतरनाक रूप में सामने आया है। कोरोना का दूसरा स्ट्रेन तेज़ी से फैल भी रहा है और साथ ही ज़्यादा प्रभावशाली ढंग से लोगों पर अटैक भी कर रहा है।

इस कोरोना महामारी ने न सिर्फ लोगों को संक्रमित किया है बल्कि लोगों के असल मानवीय और अमानवीय चेहरे को दुनिया के सामने ला दिया है। एक तरफ कुछ लोग इस महामारी में एक दूसरे के लिए फरिश्ता बनकर सामने आरहे हैं और एक दुसरे की मदद कर रहे हैं। एक दूसरे को ऑक्सीजन और दवाई पहुंचा रहे हैं।

वहीं दूसरी ओर इस कोरोना महामारी ने लोगों गिद्ध स्वरूप अमानवीय चेहरे को भी बेनकाब किया है। कुछ लोगों के लिए ये आपदा नहीं बल्कि अवसर है।

दिल्ली के एम्बुलेंस सर्विस वालों के लिए भी कोरोना आपदा एक अवसर के रूप में आया है। मजबूरी का फायदा उठाकर मरीजों से भारी भरकम रकम वसूल रहे हैं। महज़ 4 किलोमीटर तक जाने के लिए 10 हज़ार तक वसूल रहे हैं।

आईएएस अधिकारी ‘अरुण बथोरा’ ने ‘DK एम्बुलेंस सर्विस’ नामक एजेंसी की पर्ची शेयर करते हुए लिखा है कि “दिल्ली में 14 किलोमीटर जाने के लिए एम्बुलेंस को 10 हज़ार रुपए देने पड़ते हैं।
साथ ही उन्होंने लिखा है “आज दुनिया न सिर्फ हमारी तबाही को देख रहा है बल्कि हमारी नैतिक मूल्यों को भी देख रही है”

आपदा को अवसर में बदलने का ये कोई पहला मामला नहीं है। मानवरूपी ये गिद्ध हमारे देश के हर एक हिस्से में मौजूद है।

उत्तर प्रदेश के लखनऊ में अर्थी को कंधा देने का भी रेट फिक्स किया जा चुका है। कोरोना के डर से कई लोग अपनों को ही कंधा देने से डर रहे हैं ऐसे में शमशान घाट वालों ने अर्थी को कंधा देने के लिए 5 हज़ार का रेट फिक्स कर दिया है।

लोग रेमेडेसीवीर इंजेक्शन के लिए दर दर की ठोकरें खा रहे हैं लेकिन कुछ लोगों ने इस दवाई की जमाखोरी कर इसे बाजार से गायब कर दिया है और इसकी कालाबाज़ारी कर दस गुणा अधिक दाम में बेच रहे हैं

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