भारत के हर शहरी को अपनी पसन्द का मज़हब अपनाने, उसकी तबलीग़ करने, उसके मुताबिक़ डेमोक्रेटिक तरीक़े पर हिन्दुस्तान को बनाने की आज़ादी है
दुनिया दारुल-अस्बाब है। यानी इस दुनिया में हर काम को करने के लिये साधन की ज़रूरत पड़ती है। यहाँ के नतीजे हमारे अमल (Activism) पर...

