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पूर्व जजों की रिर्पोट: CAA आंदोलन के दौरान TV चैनलों का मुस्लिम विरोधी रुप दिखा

राजधानी दिल्ली में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) आंदोलन एवं दिल्ली के उत्तर-पूर्वी इलाके में हुए सांप्रदायिक दंगों पर चार सेवानिवृत्त जजों और भारत के एक पूर्व गृह सचिव ने अपनी रिर्पोट ज़ारी करते हुए मीडिया के मुस्लिम विरोधी चेहरे को बेनकाब किया हैं।

इस कमेटी में जस्टिस मदन बी लोकुर, सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस एपी शाह, मद्रास के पूर्व मुख्य न्यायाधीश और विधि आयोग के पूर्व अध्यक्ष न्यायमूर्ति आर एस सोढ़ी, दिल्ली उच्च न्यायालय की पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति अंजना प्रकाश, पटना उच्च न्यायालय की पूर्व न्यायाधीश और भारत सरकार के पूर्व गृह सचिव जी के पिल्लई शामिल थे।

कमेटी ने आपनी रिर्पोट में कहा कि, मीडिया द्वारा एक सोची-समझी रणनीति के तहत मुस्लिम विरोधी नैरेटिव को फैलाया गया जिससे कारण हिंसा हुई।

अनसर्टेन जस्टिस: ए सिटिजन्स कमेटी रिपोर्ट ऑन द नॉर्थ ईस्ट डेल्ही वॉयलेंस 2020 रिर्पोट में कहा गया कि, ऐसा प्रतीत होता है कि CAA विरोधी प्रदर्शनों के दौरान हिंसा को भड़काना और मुस्लिम समुदाय के खिलाफ नफरत पैदा करने में कई मुख्यधारा के समाचार चैनलों का हाथ हैं।

इस रिर्पोट में मीडिया पर इतने गंभीर आरोप लगे हैं उसके बाद भी अभी तक किसी भी मीडिया संस्थान ने आगे बढ़कर न तो माफ़ी मांगी हैं और न ही अपने किए पर पछतावा किया हैं।

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