रामनवमी के दिन बिहार के नालंदा में दंगाईयों द्वारा मदरसा अजीजिया को जलाने की घटना पर मशहूर शायर एवं राज्यसभा सांसद इमरान प्रतापगढ़ी ने अपने दर्द को शायरी के ज़रिए साझा किया है।
ये साज़िश और नफ़रत की
नई ऑंधी चलाने से
ये हिम्मत आज़माने से
ये दीवारें गिराने से
किताबों को जलाने से।
विरासत मिट नहीं सकती
तुम्हारे यूँ मिटाने से।
जो दीवारों पे नफ़रत की निशानी छोड़ आये हो
तुम्हें एहसास भी है क्या कहानी छोड़ आये हो।
लगाकर धर्म का नारा जला दी बस्तियॉं तुमने
कई रोती हुई ऑंखों में पानी छोड़ आये हो।
किताबों को जला दोगे मगर जो राख बिखरेगी
उसी को घोलकर हम फिर नई स्याही बनायेंगे।
उसी मकतब में गूँजेंगे तराने फिर से चाहत के
क़लम काग़ज़ लिये हाथों में बच्चे मुस्करायेंगे।
मुहब्बत की इबारत को भला कैसे मिटाओगे
हमारी इस विरासत को भला कैसे मिटाओगे