कांग्रेस ने बाहरी मध्यस्थता और कश्मीर मुद्दे का अंतरराष्ट्रीयकरण करने के प्रयासों पर कड़ी आपत्ति जताते हुए संसद का विशेष सत्र और प्रधानमंत्री की मौजूदगी में सर्वदलीय बैठक बुलाने की मांग दोहराई है।
नई दिल्ली स्थित कांग्रेस कार्यालय में पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए पार्टी के वरिष्ठ नेता और राष्ट्रीय महासचिव सचिन पायलट ने कहा कि यह बेहद आश्चर्य की बात है कि भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम की घोषणा अमेरिकी राष्ट्रपति ने की। अमेरिका के कश्मीर पर दिए गए उन बयानों पर भी उन्होंने आपत्ति जताई, जिनमें कहा गया था कि दोनों देश तटस्थ स्थल पर मिलेंगे।
कश्मीर मुद्दे का अंतरराष्ट्रीयकरण करने के प्रयासों का विरोध करते हुए सचिन पायलट ने कहा कि भारत की विदेश नीति हमेशा से स्पष्ट रही है कि यह भारत और पाकिस्तान के बीच का द्विपक्षीय मुद्दा है। किसी भी तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप को स्वीकार नहीं किया जाएगा।
लेकिन, अमेरिका के बयानों से इस नीति पर सवाल उठते हैं। उन्होंने सरकार से स्पष्ट करने की मांग की कि क्या उसने अमेरिका के मध्यस्थता प्रस्ताव को स्वीकार किया है और किन शर्तों पर संघर्ष विराम की घोषणा की गई है।
पायलट ने आगे कहा कि संघर्ष विराम की विश्वसनीयता पर सवाल कल रात ही उठ गए थे, जब संघर्ष विराम की घोषणा के कुछ ही समय बाद पाकिस्तान ने इसका उल्लंघन किया।
इससे पूर्व कांग्रेस नेता ने सीमा पर शहीद हुए सैनिकों व भारतीय नागरिकों को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने भारतीय सेना के शौर्य और पराक्रम की सराहना करते हुए कहा कि हमारी सेना दुनिया की सर्वश्रेष्ठ सेनाओं में से एक है।
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का हवाला देते हुए कांग्रेस नेता ने 1971 के युद्ध का भी जिक्र किया, जब अमेरिका ने बंगाल की खाड़ी में अपना सातवां बेड़ा भेजने की धमकी दी थी, लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने राष्ट्रीय हित को सर्वोपरि रखा था। देश इंदिरा गांधी को याद कर रहा है।
उन्होंने कहा कि आज भी राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखना चाहिए और किसी भी तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप को स्वीकार नहीं करना चाहिए। उन्होंने 1994 में कांग्रेस सरकार में पारित प्रस्ताव का जिक्र करते हुए कहा कि संसद के विशेष सत्र में पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर को वापस लेने के प्रस्ताव को दोबारा दोहराना चाहिए।
वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा कि केंद्र सरकार को देश के 140 करोड़ लोगों और सभी राजनीतिक दलों ने अपने राजनीतिक मतभेदों को अलग रखकर स्थिति से निपटने में सरकार का पूरे दिल से समर्थन किया।
पायलट ने इन सभी सवालों के जवाब देने के लिए केंद्र सरकार से सर्वदलीय बैठक बुलाने की मांग की। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को सर्वदलीय बैठक में शामिल होकर देश को यह विश्वास दिलाना चाहिए कि संघर्ष विराम किन शर्तों पर हुआ है और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए क्या गारंटी है। इसके साथ ही उन्होंने यह मांग भी की कि सरकार को संसद का विशेष संसद सत्र बुलाकर चर्चा करनी चाहिए, ताकि पूरी दुनिया में संदेश जाए कि आतंकवाद और पाकिस्तान के दुस्साहस के खिलाफ पूरा देश एकजुट है।
उन्होंने आईएमएफ द्वारा एक दिन पहले ही पाकिस्तान को एक अरब डॉलर से अधिक का ऋण दिए जाने का भी जिक्र किया।