भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकारों के हालिया निर्देशों पर अंतरिम रोक लगा दी है। इन निर्देशों में कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित भोजनालयों को अपने दुकानों के बाहर मालिकों के नाम प्रदर्शित करने का आदेश दिया गया था।
यह आदेश एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ़ सिविल राइट्स (एपीसीआर) द्वारा दायर याचिका के जवाब में आया, जिसका शीर्षक था एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ़ सिविल राइट्स (एपीसीआर) बनाम उत्तर प्रदेश राज्य और अन्य” (रिट पेटिशन (सी) 463/2024)। जस्टिस हृषिकेश रॉय और एसवीएन भट्टी की पीठ ने इस अंतरिम आदेश को जारी करते हुए सरकारी निर्देशों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर नोटिस जारी किए।
वरिष्ठ अधिवक्ता सीयू सिंह, अधिवक्ता फौज़िया शकील, और अधिवक्ता ऑन रिकॉर्ड (एओआर) उज्जवल सिंह एपीसीआर के लिए पेश हुए।
एपीसीआर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का स्वागत करता है, जिसे व्यापार मालिकों के अधिकारों की रक्षा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जा रहा है।
संगठन का मानना है कि ऐसे निर्देश न केवल व्यक्तिगत गोपनीयता का उल्लंघन करते हैं बल्कि साम्प्रदायिक तनाव को भी बढ़ा सकते हैं। एपीसीआर नागरिक स्वतंत्रताओं की रक्षा के प्रति प्रतिबद्ध है और ऐसे नीतियों की वकालत जारी रखेगा जो सभी नागरिकों के मौलिक अधिकारों का सम्मान और संरक्षण करती हैं।