28 मार्च की रात को IIT के छात्र ने अपनी साथी का बलात्कार किया। अगले दिन उस लड़की को हस्पताल में भर्ती कराया गया जहां लड़की की हालात सही नहीं थे।
पुलिस ने FIR दर्ज करके लड़के को गिरफ़्तार किया और फिर पिछले हफ़्ते गुवाहाटी हाईकोर्ट के जज ने उस रेपिस्ट को मुल्क का भविष्य बताकर ज़मानत दे दी।
अब हाईकोर्ट के इस फ़ैसले को किस नज़र से देखा जाए? क्या रेप करना उन छात्रों का संवैधानिक अधिकार है जो छात्र पढ़-लिख रहे हैं?
क्या देश के मुस्तक़बिल को रेप करने इजाज़त देता है संविधान? समझ में नहीं आ रहा है रेप को सड़े हुए समाज की संस्कृति कहें या रेपिस्ट को मिला संवैधानिक अधिकार।
भारत धरती का वो वाहिद मुल्क है जहां रेपिस्टों के पक्ष में रैलियां निकलती हैं। हाथों में तिरंगा लिए ‘भारत माता की जय’ का नारे के साथ प्रोटेस्ट होता है।
अब जब खुद न्यायालय ही एक रेपिस्ट को देश का मुस्तक़बिल बता रहा है तो फिर क्या ही कहा जाए? एक रेपिस्ट को मुल्क का मुस्तक़बिल बताने वाले लोग अफ़ग़ानिस्तान की मुस्लिम महिलाओं की फ़िक्र में आधे हुए जा रहे हैं।
जबकि किसी भी महिला के साथ सबसे बड़ा अपराध कोई होता है तो वह उसके साथ रेप होता है। माने क्या लिखें मेरा तो दिमाग़ ही काम नहीं कर रहा है। शब्द ही नहीं है। चल क्या रहा है?
(यह स्टोरी सोशल एक्टिविस्ट शाहनवाज अंसारी की फेसबुक वाल से ली गई हैं)