जब भी हमारे दिमाग में किसी दिव्यांग व्यक्ति का नाम आता हैं तो जहन में एक तस्वीर बनती हैं कि यह कुछ नहीं कर सकता, यह तो दिव्यांग हैं।
लेकिन उत्तर प्रदेश के गुलफाम अहमद ने इस सोच को बदल दिया. दोनों पैरों से दिव्यांग गुलफाम ने मिस्टर व्हीलचेयर इंडिया बनकर अपने जैसे लाखों लोगों को प्रेरणा दी हैं।
बचपन से पोलियों जैसी खतरनाक बीमारी से ग्रसित गुलफाम अहमद ने अपनी ज़िंदगी में कभी हार नहीं मानी. गुलफाम ने हर चुनौती का डटकर सामना किया हैं।
उत्तर प्रदेश में जन्मे गुलफाम के माता पिता ने उनको कई बार डॉक्टरों को दिखाया लेकिन उनका इलाज़ नहीं हो सका. जिसके कारण वह 8 साल तक अपनी पढ़ाई भी शुरु नहीं कर सके।
गुलफाम को शुरु से ही पढ़ने लिखने का शौक था. उनके घर के पास एक 5वी कक्षा तक का स्कूल था. जहा पर जानें का उनका बहुत मन करता था. एक दिन वह स्कूल में झांक रहे थे. तो उनको प्रिंसिपल ने देख लिया. प्रिंसिपल उनको अपने कैबिन में ले गई जहां गुलफाम ने उनसे कहा “आंटी जी मुझे भी स्कूल आना हैं” जिसके बाद गुलफाम का 8 वर्ष की उम्र में स्कूल में दाखिला हो गया।
गुलफाम शुरु से ही सलमान खान के फैन थे. इसलिए वह 8वी कक्षा के बाद जिम जाने लगे तथा उन्होंने अच्छी खासी बॉडी बना ली. इसी बीच उनकी मुलाक़ात द्रोणाचार्य पुरस्कार से सम्मानित अंतरराष्ट्रीय कोच धवन से हुई. उन्होंने गुलफाम को पैरालंपिक खेलों के बारे में बताया।
11वी कक्षा में पहुंचने के बाद गुलफाम ने राष्ट्रीय स्तर के पैरालंपिक खेलों में भाग लिया जिसमें उन्होंने कास्य पदक जीता. जिसके बाद गुलफाम का हौसला और बढ़ गया. इसके बाद गुलफाम ने राष्ट्रीय स्तर की कई प्रतियोगिताओं में गोल्ड मेडल भी जीते।
इसके बाद गुलफाम ने मिस्टर व्हीलचेयर इंडिया का खिताब जीतकर इतिहास रच दिया।