मुझे भारत से कोई शिकायत नहीं है। शिकायत करने वालों से शिकायत है। बारिश होते ही वीडियो की बारिश होने लग जाती है। मैं तय नहीं कर पाता हूं कि बारिश ज़्यादा हो रही है या वीडियो ज़्यादा वायरल हो रहे हैं।
बारिश के दिनों में वारयल वीडियो को वायरिश कहना चाहिए। ऐसे वीडियो जो केवल बारिश के समय वायरल होते हैं। मैं मानता हूं कि संसद की छत से बारिश के पानी का टपकना अच्छा नहीं है लेकिन इसमें दोष वास्तु का नहीं है, बाल्टी का है। बाल्टी ने संसद की कमियों की शोभा बिगाड़ दी है।
मैं स्पीकर होता तो व्यवस्थापकों को बुलाकर हड़काता कि सदन के भीतर बाल्टी कहां से आ गई। वह भी नीले रंग की बाल्टी। संसद है ये। मोहल्ले की शादी का तिलक नहीं है कि कहीं से चौकी ले आए, कहीं से बाल्टी।
मैं गिनती करवाता कि संसद में प्लास्टिक की कितनी बाल्टी है, कितने मग हैं? और क्यों हैं? ये बाल्टियां कहीं वहां तो नहीं पहुंच गई हैं, जहां शावर लगे थे। जेट लगा था। अगर ज़्यादा हैं तो एक-एक बाल्टी सांसदों के साथ उनके घर भिजवा देता। हर सांसद अपने घर बाल्टी लेकर जाता।
आप सोचिए अगर बाल्टी नहीं होती तो वीडियो इतना ख़राब नहीं लगता। बारिश का भी अपना क्लास है। बाल्टी लगाकर बारिश का क्लास ख़राब कर दिया गया है।
दोष बाल्टी का और गुस्सा बिमल पर। बिमल पटेल वास्तुकार हैं। बाल्टीकार नहीं हैं। दो मिनट भी लोग अपने प्वाइंट पर टिक कर बहस नहीं करते हैं। बाल्टी-बाल्टी करते हुए बिमल पर आ गए।अगर वह बाल्टी बिमल छाप है तब अलग बात है। संसद परिसर में पानी भर गया, उस पर इतना गुस्सा, उसी परिसर में पत्रकारों को एक पिंजड़े में बंद कर गिया तब किसी ने पूछा कि इसका वास्तुकार कौन है? कंटेनर बनाने का विचार किसका था और वास्तुकार कौन था? इतनी जल्दी पिंजड़ा किसने बनाया?
गोदी मीडिया को भी डिब्बे में बंद कर दिया? क्या इसी दिन के लिए पत्रकारिता बंद की थी? क्या उस पिजड़ें को देखकर शर्म नहीं आ रही थी जो आप बाल्टी को देखकर शर्म करने लगे? इसलिए मुझे भारत से शिकायत नहीं है। शिकायत करने वालों से शिकायत है।
मैं स्पीकर होता तो सबको बुलाकर हड़काता कि यहां कोई बाल्टी नहीं होगी। मग्गा भी नहीं होगा। जी-20 में चांदी की थाली में भोजन परोसा गया था, उन सबको लाओ। दाल परोसने के लिए चांदी की बाल्टी ज़रूर बनी होगी, उससे पानी रोको। पानी पिलाने के लिए चांद का जग होगा, उन सबको लाओ और जहां-जहां से पानी टपक रहा है, वहां-वहां चांदी का जग रख दो। जी-20 के गोदाम में सब रखा होगा, अभी निकाल कर लाओ।
फिर विपक्ष कभी इसका वीडियो नहीं बनाएगा क्योंकि उस वीडियो से जनता को गर्व होगा कि भारत तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। चांदी की बाल्टी से बारिश का पानी रोक रहा है। इस डर से विपक्ष कभी वीडियो बनाएगा ही नहीं।
कितनी अच्छी बात है कि बारिश में दिल्ली दूसरे शहरों से अलग नहीं लगती। इससे उन शहरों के लोग अब ईर्ष्या नहीं करते जिनके यहां की सड़कें तीन-तीन दिन डूबी रहती हैं, बिजली नहीं आती है और एक वीडियो भी वायरल नहीं होता है। अब जाकर दिल्ली का शहरीकरण हुआ है। अभी तक उसका राजधानीकरण हो रखा था। गुरुग्राम की सड़कों पर पानी भर जाता है। इसमें क्या ब्रेकिंग न्यूज़ है? कब से भर रहा है। गुरुग्राम वालों को पता होना चाहिए कि ज़माना चेंज हो चुका है। वे अभी तक मिलेनियम की खुमारी में डूबे हैं, इधर ज़ेन-जी को कोई पूछ ही नहीं रहा।
मिलेनियम सिटी पुरानी हो चुकी है। उस सिटी में जब तक थाली है और बालकनी है, बारिश की चिंता मत करें। टास्क मिलेगा। जल्दी मिलेगा। उन्हें भी पता है कि आप ITR भरनेे में बिज़ी हैं। घर-घर तिरंगा अभियान के तहत आपको गर्व करने का मौक़ा मिलेगा।
अभी हम लोगों को एक दूसरे की सोच को भारतीय बनाना है, इसी से फुर्सत नहीं है, प्राचीन काल का सिलेबस पूरा नहीं हुआ और मार्डन टाइम का सिलेबस निकाल लाए हैं। हम देश को फार्वर्ड करना चाहते हैं और ये लोग वीडियो फारवर्ड करने में लगे हैं।
राष्ट्रवाद के अविरल प्रपात को बाल्टी से रोकना चाहते हैं। ऐसे लोगों को दिन में दस डिबेट दिखाओ। हर मुद्दे पर एक ही बात करने लग जाएंगे। बाल्टी से बाल्टीमोर पहुंच जाएंगे। रवीश कुमार असली नाम टोबा टेक सिंह रिपोर्टिंग लाइव सर फ्राम अगड़म-बगड़म चौपाल।