भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) दिन प्रतिदिन नए नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा हैं, चांद पर सफल लैंडिंग के बाद अब हमारे वैज्ञानिकों ने सूर्य के अध्ययन के लिए भी आदित्य एल1 भेजा हैं।
इसरो की इन दोनों सफलताओं के पीछे मुस्लिम वैज्ञानिकों का भी बहुत बड़ा हाथ हैं, जिस प्रकार चंद्रयान 3 की सफलता के लिए अरीब अहमद, इशरत जमाल, खुशबू मिर्जा और मौहम्मद साबिर ने कड़ी मेहनत की थीं उसी प्रकार आदित्य एल1 की सफलता के पीछे भी निगार शाजी की बहुत बड़ी भूमिका हैं।
श्रीहरिकोटा स्थित इसरो के केंद्र से बीते शनिवार को सूर्य के अध्ययन के लिए ‘आदित्य एल1’ रवाना हुआ था, इस परियोजना में तमिलनाडु निवासी निगार साजी के नेतृत्व में कई लोगों ने कड़ी मेहनत की है।
जानकारी के मुताबिक़, निगार शाजी 35 साल से इसरो में अपनी सेवाएं दे रहीं हैं, उन्होंने भारतीय रिमोट सेंसिंग, संचार और अंतर ग्रहीय उपग्रह कार्यक्रम में विभिन्न जिम्मेदारियां निभाई हैं।
26 जनवरी 2023 को आयोजित एक कार्यक्रम में इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ और शाजी की उपस्थिति में यू आर राव सैटेलाइट सेंटर पेलोड को सौंपा गया था।
निगार ने मदुरै स्थित कामराज विश्वविद्यालय से इलेक्ट्रॉनिक्स और संचार में बैचलर इन इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की और बीआईटी रांची से इलेक्ट्रॉनिक्स में स्नातकोत्तर किया. वह बेंगलुरु में इसरो के सैटेलाइट टेलीमेट्री सेंटर की प्रमुख भी रह चुकी हैं।