जमात-ए-इस्लामी हिंद (JIH) ने रेलवे अधिकारियों के साथ भूमि विवाद के कारण हल्द्वानी में हजारों परिवारों को बेदखल करने के उत्तराखंड उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है।
जमात के मुख्यालय में मीडियाकर्मियों को संबोधित करते हुए प्रो. मोहम्मद सलीम इंजीनियर ने मांग की हैं कि विध्वंस अभियान को वापस लिया जाए और रेलवे अधिकारियों और लोगों के बीच बातचीत के माध्यम से एक सौहार्दपूर्ण समझौता किया जाए।
प्रो सलीम ने शीर्ष अदालत की सराहना करते हुए कहा कि, स्थगन आदेश से न्यायपालिका में लोगों का विश्वास मजबूत होगा, जिसने हजारों परिवारों को बेघर होने से रोक दिया। उन्होंने न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एएस ओका की टिप्पणियों का समर्थन किया कि “50,000 लोगों को रातों रात नही उखाड़ा जा सकता है, यह एक मानवीय मुद्दा है, कुछ व्यावहारिक समाधान खोजने की जरूरत है।
हल्द्वानी में इस विध्वंस अभियान द्वारा 4 सरकारी स्कूलों, 11 निजी स्कूलों, एक बैंक, दो ओवरहेड पानी की टंकियों, 10 मस्जिदों, 4 मंदिरों, व्यापारिक प्रतिष्ठानों और दुकानों सहित 4500 से अधिक घरों को लक्षित किए जाने की संभावना है।
प्रस्तावित विध्वंस को अस्वीकार करते हुए जमात नेता ने कहा कि भले ही अधिकारियों को उत्तराखंड उच्च न्यायालय के आदेश का पालन करना था लेकिन इतनी बड़ी संख्या में लोगों को बेदखल करना पूरी तरह से अमानवीय था और न्याय के सभी मानदंडों के खिलाफ था।
हाल ही में जमात के सचिव मलिक मोहतसिम खान, वरिष्ठ पत्रकार प्रशांत टंडन, एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स (एपीसीआर) के सचिव नदीम खान, एसपीईसीटी फाउंडेशन के लईक अहमद खान और जेआईएच के सहायक सचिव इनामुर रहमान के नेतृत्व में एक फैक्ट फाइंडिंग दल ने भी हल्द्वानी का दौरा किया और वहां की स्थिति के बारे में रिपोर्ट दर्ज की।
समाज में महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराध पर चिंता व्यक्त करते हुए जमात के उपाध्यक्ष ने हाल की घटनाओं पर दुख व्यक्त किया, उन्होंने देश की राजधानी में लगभग 12 किमी तक घसीट कर अंजलि सिंह की दर्दनाक मौत सहित ऐसी कई घटनाओं का हवाला देते हुए कहा कि, छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में एक महिला को उसके पीछा करने वाले ने पेचकस से 51 बार वार किया, पश्चिमी दिल्ली में स्कूल जाने के रास्ते में तेजाब के साथ छात्रा पर हमला और श्रद्धा को उसके साथी द्वारा 35 टुकड़ों में काटने की घटना ने झकझोर दिया है।
प्रो. सलीम ने महिलाओं के प्रति अपना नजरिया बदलकर समाज में सुधार की जरूरत पर जोर देते हुए कहा कि इसकी शुरुआत स्कूली शिक्षा के स्तर से ही होनी चाहिए। उन्होंने कहा, “इस्लाम महिलाओं को बहुत सम्मान देता है और समाज में महिलाओं की स्थिति को ऊंचा करता है, उनकी सुरक्षा, भलाई, शिक्षा और समाज में स्थिति को सर्वोच्च प्राथमिकता देता है।
कर्नाटक और अन्य राज्यों में बढ़ती सांप्रदायिकता पर भी गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए जमात के उपाध्यक्ष ने कहा कि कर्नाटक में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं इसलिए कॉलेजों में हिजाब पहनने का विरोध करने से लेकर, मुसलमानों को हिंदू त्योहारों और मेलों में स्टॉल और दुकानें लगाने से मना करने और ईसाई सभाओं पर हमला करने तक कर्नाटक में नफरत और कट्टरता के सौदागरों पर खुली छूट मिली हुई हैं, धर्मांतरण विरोधी कानून को अपनाने, बेलगावी विधानसभा कक्ष में वीर सावरकर के चित्र का अनावरण करने और टीपू सुल्तान को बदनाम करने का कदम – राजनीतिक लाभांश प्राप्त करने के लिए सांप्रदायिकता का अभ्यास करने का एक हताश प्रयास प्रतीत होता है।