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दिल्ली दंगों पर चर्चा करने के लिए जामिया प्रशासन ने पत्रकार आसिफ मुज्तबा को नहीं दी जगह, सुरक्षाकर्मियों को भेज कार्यक्रम रोका

दिल्ली दंगों के तीन वर्ष पूरे होने पर जामिया मिल्लिया इस्लामिया में एक कार्यक्रम का अयोजन कर रहें पत्रकार आसिफ़ मुज्तबा को प्रशासन ने इजाजत नहीं दी।

आसिफ़ मुज्तबा दंगों के दौरान पुलिस की भूमिका और उसके मंजर पर छात्रों के साथ चर्चा करना चाहते दे, लेकीन सुरक्षाकर्मियों ने पहुंचकर कार्यक्रम में बाधा उत्पन्न कर दी तथा कार्यक्रम नहीं होने दिया।

इस घटना की जानकारी आसिफ़ मुज्तबा ने अपने ट्विटर अकाउंट के ज़रिए साझा करते हुए बताया कि, यह देखना शर्मनाक है कि कैसे एएमयू और जामिया मिल्लिया के परिसरों में मुसलमानों से संबंधित मुद्दों पर चर्चा करने और राज्य की सांप्रदायिक भूमिका को सामने लाने के लिए जगह नहीं है. दिल्ली पोग्रोम 2020 के बारे में जामिया मिलिया इस्लामिया में मेरा कार्यक्रम बाधित किया गया।

आसिफ़ के मुताबिक़, दोपहर 3:30 बजे, दिल्ली पुलिस की विशेष शाखा के एक वरिष्ठ अधिकारी ने उनके कार्यालय का दौरा किया, वह कार्यक्रम के बारे में पूछ रहे थे, मैंने उनसे बहुत सारे दावों से कहा कि मैं निश्चित रूप से दंगों को संभालने में दिल्ली पुलिस की सांप्रदायिक भूमिका के बारे में बात करूंगा।

5:15 बजे जब मैं कैंपस पहुंचा तो गेट नंबर 8 के बाहर पुलिस की भारी तैनाती देखी. मैं दूसरे गेट से अंदर जाने में कामयाब रहा और अंत में बात करने के लिए इतिहास लॉन के बाहर कार्यक्रम स्थल पर पहुंच गया।

इसके चंद मिनट बाद ही जामिया सुरक्षाकर्मियों का एक समूह वहां पहुंच गया और कार्यक्रम को बाधित कर दिया. उन्होंने मुझे उसी मिट्टी पर बोलने नहीं दिया, जो केवल विरोध की आवाज देने के लिए बनी थी. यह देखना शर्मनाक था कि कैंपस की जगह दिन-ब-दिन कैसे सिकुड़ती जा रही है।

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