हरियाणा के मेवात में हुई सांप्रदायिक हिंसा की घटना के बाद से जमीअत उलमा-ए-हिंद की टीम लगातार पीड़ितों के बीच रहकर उनकी मदद कर रहीं हैं।
जमीअत के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी ने जाब्ता की कार्रवाई की उपेक्षा करते हुए लोगों के घर और दुकानें को उजाड़ने पर हाई कोर्ट के स्थगन के निर्णय को शोषण का शिकार हुए लोगों के लिए उम्मीद की किरण बताया है।
मौलाना मदनी ने जमीअत उलमा के पदाधिकारियों को निर्देश दिया है कि उत्पीड़न का शिकार बेघर किए गए लोगों की हरसंभव मदद करें. मौलाना मदनी ने कहा कि जमीअत उलमा-ए-हिंद का सौ वर्षीय इतिहास रहा है कि उसने देश के निर्माण में बड़ी भूमिका निभाई है और विध्वंसकारी गतिविधियों को मिटाया है. इसी भूमिका के आलोक में जमीअत पूर्व की तरह आगे बढ़ती रहेगी।
मौलाना मदनी के निर्देश पर मदरसा उबे बिन काब घासेड़ा में जमीअत उलमा हरियाणा के प्रदेश एवं स्थानीय पदाधिकारियों की एक महत्वपूर्ण बैठक जमीअत उलमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना हकीमुद्दीन कासमी की अध्यक्षता में अयोजित की गई. जिसमें राहत कार्यों को व्यवस्थित ढंग से चलाने के लिए 11 सदस्यीय रिलीफ कमेटी गठित की गई. इसी प्रकार कानूनी कार्रवाई के लिए एक लीगल सेल की स्थापना की गई. फिलहाल वहां जमीअत उलमा-ए-हिंद द्वारा सर्वे का काम जारी है ताकि दंगे के दौरान हुए नुकसान का अनुमान लगाया जा सके।
इस बीच मौलवी जमील वाली मस्जिद सोहना और शाही जामा मस्जिद बारह खंबा वाली सोहना की सफाई और मरम्मत का काम जमीअत उलमा-ए-हिंद के अंतर्गत शुरू हो गया है. जो राहत कमेटी गठित की गई है, उसमें मौलाना याहया करीमी को संयोजक के तौर पर जबकि मास्टर कासिम महूं, कारी असलम बुडेड, मुफ्ती सलीम साकरस, मौलाना दिलशाद, मौलाना हसन, हाफिज़ सुफियान, मौलाना अरशद, मौलाना साजिद पलवल, हाफिज अली मोहम्मद पलवल और कारी साजिद सदस्य के तौर पर शामिल हैं।
इस बीच जमीअत उलमा-ए-हिंद के एक प्रतिनिधिमंडल ने तावड़ू में रहने वाले असमिया श्रमिक परिवारों के बीच एक महीने का राशन वितरित किया। यह वह लोग हैं जिनके घरों को ध्वस्त कर दिया गया और वह लोग सरपंच अहमद अली साहब की जमीन पर तंबू गाड़ कर रह रहे हैं। इसी तरह जमीअत प्रतिनिधिमंडल ने फिरोजपुर झरका में स्थित झरना बस्ती का भी दौरा किया, जहां 150 घरों को प्रशासन द्वारा क्रूरतापूर्वक बुलडोजर से ध्वस्त कर दिया गया है। इन घरों में रहने वाले लोग बेसहारा हो गए हैं और खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं।
अपने दौरे के दौरान जमीअत उलम-ए-हिंद के प्रतिनिधिमंडल ने बिवां गांव का भी दौरा किया, जहां तब्लीगी जमाअत के एक बुजुर्ग साथी अब्दुर्रज्जाक से मुलाकात हुई। उन्होंने बताया कि उनकी जमाअत पलवल की बाजार वाली मस्जिद में ठहरी हुई थी। जब उपद्रवियों ने मस्जिद के बाहर हंगामा शुरू किया, तो जमाअत के कई सदस्य छत पर जाकर छिप गए, लेकिन वह और उनके दो अन्य साथी नीचे ही रह गए। उपद्रवी लोग गेट तोड़ कर मस्जिद में घुस गए और हम तीनों को बहुत की क्रूरतापूर्वक पीटा। जब पुलिस आई तो उसने हमें एक अज्ञात स्थान पर ले जाकर छोड़ दिया। अब्दुर्रज्जाक के शरीर पर गंभीर चोट के निशान हैं। वह फिर भी अल्लाह का शुक्र अदा कर रहे हैं कि उसकी कृपा से हम सभी बच गए।