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जमीअत उलमा-ए-हिंद के प्रतिनिधिमंडल ने हिंदुत्ववादियों के हमले में घायल नमाज़ियों से मुलाकात की

जमीअत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी के निर्देश पर जमीअत उलमा-ए-हिंद का एक प्रतिनिधिमंडल मौलाना याह्या करीमी के नेतृत्व में सोनीपत के सांदल कलां में नमाजियों पर हुए हमले की समीक्षा करने और पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए पहुंचा।

बता दें कि सांदल कलां गांव में स्थानीय अराजक तत्वों ने ठीक तरावीह की नमाज के दौरान जब लोग सजदे में थे, लाठी, डंडे और धारदार हथियारों से हमला कर दिया। इस हमले में दस से बारह नमाज़ी गंभीर रूप से घायल हो गए। घायलों में महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग भी शामिल हैं।

पुलिस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है, लेकिन इसके बावजूद बहुसंख्यक वर्ग के इस गांव में जहां केवल 15 घर मुसलमानों के हैं. वहां के मुसलमान डरे-सहमे हुए हैं।

जमीअत उलमा के प्रतिनिधिमंडल ने सबसे पहले सोनीपत के सिविल अस्पताल में इलाजरत अल्लाह मेहर से मुलाकात की जिनकी आयु 84 वर्ष है। उन्होंने कहा कि बिना किसी झगड़े या तनाव के इन अराजक तत्वों ने उन पर और उनके अन्य साथी नमाज़ियों पर हमला कर दिया। हमें इसका बिल्कुल अंदाजा नहीं था। हमलावर हमारे पड़ोसी हैं, हमारे सामने बड़े हुए, हमारे बच्चों की तरह थे। जब देश का विभाजन हुआ, बड़ी संख्या में लोग पलायन कर गए, लेकिन मैंने इस धरती को चुना, मैं आज 84 वर्ष का हो गया हूं, इनमें से बहुत से लोगों के दादा-परदादा की उम्र का हूं। मैंने कभी नहीं सोचा था कि मेरे साथ मेरी मातृभूमि पर ऐसा होगा। आज मेरा हाथ तोड़ दिया गया लेकिन उससे ज्यादा कि मेरा दिल घायल है।

जमीअत प्रतिनिधिमंडल ने उनका हौसला बढ़ाया और आशा व्यक्त की कि हमलावरों को कठोर सजा मिलेगी। उसके बाद जमीअत के प्रतिनिधिमंडल ने पीजीआई खानपुर कलां का दौरा किया जहां गंभीर रूप से घायलों का इलाज चल रहा है।

वहां पर प्रतिनिधिमंडल की मुलाकात इश्तियाक अली, साबिर अली, जुलेखा पत्नी इश्तियाक, नरगिस, जरीना पत्नी साबिर अली, अली ताब से हुई। यह सभी अराजकता फैलाने वालों के हमले में गंभीर रूप से घायल हो गए हैं। इश्तियाक अली 63 वर्ष के हैं और एक दिहाड़ी मजदूर हैं। उन्होंने बताया कि न केवल मस्जिद और नमाजियों पर हमला किया गया, बल्कि कुरान को भी फाड़ दिया। उसके बाद हमारे घरों पर उन्होंने हमला किया। महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों के साथ मार-पीट की।

आज हम बहुत असहाय हैं। भले ही आरोपियों को जेल के अंदर बंद कर दिया गया है, लेकिन इस गांव में हमारा भविष्य अब क्या है। जहां हम छोटी सी मस्जिद में पांच वक्त की नमाज पढ़ते थे और हम में से बहुत से लोग बहुत गरीब हैं। इस अवसर पर एक घायल महिला ने बताया कि वह अपने भाई को बचाने के लिए उसके शरीर पर गिर गई, तो बदमाशों ने मुझ पर लाठियां बरसाईं, जिससे मेरी हड्डी टूट गई। उसने बताया कि उनका हमला इतना क्रूर था कि ऐसा लगा कि वह हमें मिटा देना चाहते हैं।
वहां इलाजरत अली ताब पहले से ही कई दिनों से बीमार चल रहा था। हमलावरों ने उसके पैरों पर इस तरह हमला किया है कि अब लंबे समय तक उसका उठना-बैठना और चलना-फिरना मुश्किल है। ताब को पहले से ही टीवी जैसी जानलेवा बीमारी है और उसका इलाज भी चल रहा था। प्रतिनिधिमंडल के नेता ने उसकी आर्थिक मदद भी की।
प्रतिनिधिमंडल ने लोगों से ईमान पर डटे रहने और धैर्य रखने का आग्रह किया।

इस अवसर पर मौलाना यह्या करीमी ने आश्वासन दिया कि इस घटना की पूरी रिपोर्ट जमीअत उलमा-ए-हिन्द के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी की सेवा में प्रस्तुत की जाएगी और आवश्यकता पड़ने पर मुख्यमंत्री को पत्र लिख कर इस ओर ध्यान आकर्षित कराया जाएगा। उन्होंने प्रशासन से कानून व्यवस्था बहाल रखने और प्रभावित परिवारों को मुआवजा देने की मांग की। इसके साथ ही यह भी मांग की कि हमलावरों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए और समझौते एवं उदारता का कोई अनावश्यक सुझाव न रखा जाए।

जमीअत के प्रतिनिधिमंडल में नेतृत्वकर्ता मौलाना याह्या करीमी के अलावा जमीअत उलमा-ए-हिंद के कार्यालय से मौलाना अज़ीमुल्ला सिद्दीकी क़ासमी, जमीअत उलमा पानीपत के अध्यक्ष हाजी इकराम, मौलाना नाज़िर करीमी, मौलाना साजिद क़ासमी और स्थानीय धार्मिक विद्वान मौलाना क़ारी ज़ाहिद हुसैन शामिल थे।

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