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भारत सम्पादकीय

JNU के नए कोर्स में जिहाद और इस्लामी आतंकवाद का जिक्र, सांसद बोले- कोर्स में हिंदू आतंकवाद का जिक्र क्यों नहीं?

देश के सबसे प्रतिष्ठित शिक्षा संस्थान जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के मूल ढांचे को भी अब धीरे-धीरे बदला जा रहा हैं।

2014 के बाद से ही आरएसएस ने जेएनयू में अपनी जड़े फैलानी शुरु कर दी। और अब आरएसएस ने जेएनयू में पूरी तरह से अपने पैर पसार लिए हैं।

जेएनयू में काउंटर टेररिज्म के नाम से एक कोर्स शुरु किया जा रहा हैं जिसके ज़रिए मुस्लमानों के खिलाफ नफ़रत फैलाने की साज़िश की जा रहीं हैं।

इस कोर्स में इस्लाम और मुसलमानो के खिलाफ पढ़ाया जाएगा तथा इस्लामी जिहाद को ही इस कोर्स की बुनियाद बनाया गया हैं।

काउंटर टेररिज्म कोर्स में सोवियत यूनियन और चीन की कम्युनिस्ट सरकारों को आंतकवाद का स्पॉन्सर बताया गया हैं।

इस कोर्स की फिलहाल जेएनयू एकेडमिक काउंसिल और एक्जीक्यूटिव काउंसिल से मंजूरी मिल गईं हैं तथा यह कोर्स इंजीनियरिंग के छात्रों को पढ़ाया जाएगा।

इस कोर्स की मंजूरी के बाद जेएनयू के छात्रों और अध्यापकों ने विरोध जताया है तथा इस कोर्स को वापस लेने की मांग भी की हैं।

बीएसपी सांसद कुंवर दानिश अली ने इस कोर्स का विरोध करते हुए कहा हैं कि “#JNU का नया कोर्स इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश करता है और पूरे समुदाय को सांप्रदायिकता की राजनीति और भाजपा के लिए चुनावी लाभांश और RSS के विभाजनकारी एजेंडे के लिए पेश करता है। इसका भारत की एकता और अखंडता पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा। भारत सरकार इसे तत्काल रद्द करे।

सीपीआई सांसद बिनाय विश्वम ने सवाल करते हुए कहा कि इस कोर्स में ‘हिंदू आतंकवाद’ का जिक्र क्यों नहीं है?

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