बम विस्फोट मामले में बरी हुए वकील अब्दुल वाहिद शेख को एमजीएम विश्वविद्यालय से मिली पीएचडी की उपाधि
2006 मुंबई ट्रेन बम विस्फोट मामले में बरी हुए और जेल अधिकार कार्यकर्ता के रूप में पहचाने जाने वाले वकील अब्दुल वाहिद शेख को औरंगाबाद स्थित एमजीएम विश्वविद्यालय ने पीएचडी की उपाधि प्रदान की।
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. डॉ. विलास सकपाल ने औपचारिक दीक्षांत समारोह में उन्हें डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी (PhD) की उपाधि दी।
डॉ. शेख का शोध “जेल साहित्य: स्वतंत्रता-पश्चात” शीर्षक से है, जो भारतीय जेलों से उभर रहे साहित्य पर केंद्रित है। इसमें उन्होंने प्रतिरोध, अन्याय और लचीलेपन की आवाज़ों को सामने लाया है।
उनका कहना है कि जेल में कैद लोगों की रचनाओं ने उर्दू साहित्य और सामाजिक न्याय की धारा को नई दिशा दी है।
समारोह में संबोधित करते हुए उन्होंने कहा— “यह पीएचडी केवल एक शैक्षणिक उपलब्धि नहीं, बल्कि जेल न्याय के लिए मेरे संघर्ष की अगली कड़ी है। जेल साहित्य खामोश लोगों की आवाज़ है और समाज की अंतरात्मा का दर्पण है।”
इनोसेंस नेटवर्क के महासचिव के रूप में डॉ. शेख लंबे समय से उन निर्दोष लोगों की रिहाई के लिए अभियान चला रहे हैं जिन्हें गलत तरीके से कैद किया गया है। वे जेल सुधारों और मानवाधिकारों की वकालत भी करते रहे हैं।
संकाय सदस्यों, विद्वानों और छात्रों ने इस अवसर पर डॉ. शेख के संघर्ष और योगदान की प्रशंसा की। उपस्थित लोगों का कहना था कि यह उपलब्धि इस बात का प्रमाण है कि एक निर्दोष व्यक्ति अपनी व्यक्तिगत पीड़ा को बौद्धिक शक्ति में बदल सकता है और न्याय की लड़ाई में नई राह दिखा सकता है।

