ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) प्रवक्ता हज़रत मौलाना सज्जाद नोमानी के ताज़ा बयान को लेकर मीडिया ने विवाद खड़ा कर दिया हैं. विवाद बढ़ता देख भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आज़ाद मौलाना सज्जाद नोमानी के समर्थन में उतर आए हैं।
चंद्रशेखर आज़ाद का कहना है कि, मैंने पहले दिन से ही कहा है कि पुलिस कस्टडी में हत्या किसी भी राज्य की क़ानून व्यवस्था के लिए चुनौती है, अब मीडिया हज़रत मौलाना सज्जाद नोमानी जी के बयान को ‘दूसरा’ रंग देकर प्रोपेगेंडा कर रही है। जबकि असल मुद्दा पुलिस कस्टडी में हत्या का है।
उस पर कोई बात क्यों नहीं की जा रही है? मीडिया का काम सत्ता से सवाल करना है, न कि सरकार की विफलता और ध्वस्त हो चुके लाॅ एंड ऑर्डर की पैरोकारी करना।
मीडिया अपनी साख, स्वतंत्रता और विश्वसनीयता को बचाकर रखे, एक अपराधी के अपराध गिनाकर दूसरे अपराधी के अपराध को छुपाया नहीं जा सकता? मीडिया क्यों नहीं पूछता कि पुलिस कस्टडी में बाहर से आए अपराधी कैसे किसी शख्स की हत्या कर सकते हैं?
तब पुलिस की मुस्तैदी के क्या मायने हैं? क्या इससे क़ानून के राज के दावों की हवा नहीं निकली है? स्वतंत्र मीडिया सशक्त लोकतंत्र की ज़मानत होती है, लेकिन इस दौर में मीडिया अपना गिरेबान झांक कर देखे कि वह कितना स्वतंत्र है? उस पर सत्ता का पहरा कितना सख्त है?