अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) से केंद्र की मोदी सरकार जल्द ही अल्पसंख्यक संस्थान का दर्ज़ा वापस लेगी. इसके लिए लगभग सभी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं सिर्फ़ एलान होना बाकि हैं।
आरोप हैं कि केंद्र सरकार ने 1981 के एक्ट में बदलाव करके इसको ख़ामोशी से रद्द कर दिया हैं. आपको बता दें कि, 1981 में इंदिरा गांधी की सरकार ने संसद में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी एक्ट में बदलाव करके इसको अल्पसंख्यक संस्थान का दर्ज़ा दिया था।
उर्दू समाचारपत्र इंकलाब की रिपोर्ट के मुताबिक़, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से संबंध रखने वाले लोगों का कहना हैं कि, केंद्र सरकार ने संसद में बिल पास करके खुफिया तौर पर एएमयू के अल्पसंख्यक दर्जे को ख़त्म कर दिया हैं।
हालांकि इस बात की अभी तो कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई हैं लेकिन एएमयू में चर्चा हैं कि केंद्र सरकार ने अल्पसंख्यक संस्थान के दर्जे को छीन लिया हैं।
इस मसले को लेकर एएमयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष डॉक्टर फैजुल हसन ने सुप्रीम कोर्ट के वकीलों से भी मुलाक़ात की हैं।
पूर्व सांसद मोहम्मद अदीब का कहना है कि, सरकार ने 1981 के बदलाव को रद्द करके माहौल को एक बार फ़िर से 1945 की तरफ़ मोड़ दिया हैं. इस मामले को लेकर हम 28 मई को एएमयू से ताल्लुक रखने वाले लोगों के साथ मीटिंग भी करेंगे।
इस मामले पर एएमयू प्रशासन की ख़ामोशी पर भी मोहम्मद अदीब ने सवाल खड़े करते हुए कहा है कि, प्रशासन इस मामले को खुफिया रखकर मुसलमानों के साथ धोखा किया हैं।