ऐसी तस्वीरें और ख़बरें केवल छवि को ख़राब नहीं करती हैं बल्कि उस आमद की तस्दीक़ करती हैं जिसकी आहट सुनी जा रही थी। विदेश यात्राओं के दौरान संघ से जुड़े संगठनों के मार्फ़त लोगों को स्टेडियम में बुलाकर लोकप्रियता का एक माहौल रचा गया। जिसमें भारतीय ही बैठे होते थे और वहीं मोदी के लिए ताली बजाते थे।
गाँव गाँव में बताया गया कि दुनिया में प्रधानमंत्री मोदी का नाम हो गया है। भारत का नाम हो रहा है। जबकि राजनयिक दुनिया में ऐसा कोई बदलाव नहीं हुआ था। आज वो सारा पैसा पानी में बह चुका है।
उसमें भारत की जनता का भी पैसा था जो एक नेता ने भारत की छवि बनाने के नाम पर अपनी छवि पर बहाया। ऐसी खबरें हवा में नहीं गढ़ी गई हैं बल्कि दुनिया के 17 मीडिया हाउस के अस्सी पत्रकारों ने मिलकर पत्रकारिता की है। उस सच का एक छोटा सा कतरा सामने रख दिया है जिसे ढँकने के लिए हर दिन मोदी सरकार झूठ का एक नया अभियान गढ़ देती है ताकि आप सोच ही न सकें कि पिछला क्या हुआ और अगला क्या होगा।
प्मोदी के बारे में जिन शब्दों का इस्तमाल बच बचा कर किया जा रहा था वो अब अख़बारों की सुर्ख़ियों में होने लगा है। भारत की साख दांव पर लगी है। पत्रकारों ने नहीं लगाई है। किसी की हरकत और करतूत के कारण लगी है।
ये वही अख़बार हैं जिनमें मोदी के बारे में अच्छा भी छपा है तब इनमें छपने के कारण गोदी मीडिया गाता रहता था कि विदेशी मीडिया में भी मोदी की धूम। मोदी की लोकप्रियता पहुँची सात समंदर पार। आज उसी मोदी का काम भारत की शान को ख़राब कर रहा है।
नोट: अगर आप हिन्दी प्रदेश के युवा हैं तो आप उसी पर यक़ीन करें जो आई टी सेल व्हाट्स एप फार्वर्ड कर रहा है। आप थोड़े दिन और आँख बंद कर यक़ीन कर लेंगे तो ठीक रहेगा। सत्यानाश जल्दी आएगा।
(यह लेखक के अपने विचार है लेखक रवीश कुमार एनडीटीवी के एंकर है)