बिहार की सियासत में जातीय समीकरण सबसे अहम भूमिका निभाती है। सोशल इंजीनियरिंग के बहाने सभी दल जातीय समीकरण साधते हैं। ऐसे ही मुस्लिम यादव (Muslim Yadav – MY)) समीकरण के जरिए लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) ने बिहार की सत्ता पर कब्ज़ा किया था और 15 साल तक राज किया।
सूबे में 18% मुस्लिम (Muslim) वोटरों को अपनी तरफ करने की कोशिश करते है जिसमें राजद, जदयू, कांग्रेस आदि सभी शामिल है लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि बिहार में आजादी के बाद अबतक एकमात्र मुस्लिम मुख्यमंत्री (Muslim CM) अब्दुल गफूर खान बने हैं। वो भी इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) के शासनकाल में और सिर्फ दो साल तक ही बिहार (Bihar) की सत्ता पर काबिज रह सके थे।
आज़ादी के आंदोलन के अग्रणी नेता
बिहार के गोपालगंज जिले में 18 मार्च 1918 में अब्दुल गफूर खान पैदा हुए थे। कहा जाता है कि वह बचपन से ही पढ़ने में तेज थे और देश के लिए कुछ करना चाहते थे। गोपालगंज (Gopalganj) से प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद अब्दुल गफूर खान पढ़ाई के लिए अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (Aligarh Muslim University) चले गए और यहीं से इनका सियासी सफर भी शुरू हुआ था। उसी समय देश में स्वतंत्रता संग्राम (Freedom Struggle) चरम पर था और अब्दुल गफूर खान भी आजादी की लड़ाई में कूद पड़े और इस दौरान उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा था।
1973 में अब्दुल गफूर खान बने बिहार के मुख्यमंत्री
अब्दुल गफूर खान 1952 में बिहार विधानसभा चुनाव में जीतकर पहली बार विधायक बने थे। अब्दुल गफूर खान ने प्रदेश के 15वें मुख्यमंत्री के रूप में जुलाई 1973 में CM की कुर्सी संभाली थी लेकिन वह अपनी कुर्सी ज्यादा समय तक नहीं बचा सके।
अब्दुल गफूर खान 2 जुलाई 1973 से 11 अप्रैल 1975 तक बिहार (Bihar) के मुख्यमंत्री रहे थे। उस समय देश की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) थीं और कहा जाता है कि उन्हीं की कृपा से गफूर खान को मुख्यमंत्री (Chief Minister) का पद मिला था। 2 साल तक राज्य की बागडोर चलाने के बाद अब्दुल गफूर खान (Abdul Gafoor Khan) अपनी ही कांग्रेस पार्टी के नेताओं की साजिश के शिकार हुए और जल्द ही सत्ता की कुर्सी गंवानी पड़ी थी।
जेपी के आंदोलन में अब्दुल गफूर के इस्तीफा की मांग
मार्च 1974 में बिहार से जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में छात्र आंदोलन की शुरुआत हुई थी। उस समय बिहार के मुख्यमंत्री अब्दुल गफूर खान थे। देखते ही देखते यह आंदोलन (JP Movement) पूरे देश में फैल गया था। 18 मार्च, 1974 को पटना (Patna) में छात्रों और युवकों द्वारा आंदोलन शुरू किया गया था जिसका बाद में नेतृत्व जेपी ने किया।
जब जयप्रकाश नारायण (Jayaprakash Narayan) से आंदोलन की कमान संभालने को कहा गया था तो जेपी ने शर्त रखी कि आंदोलन में कोई भी व्यक्ति किसी पार्टी से जुड़ा नहीं होना चाहिए। लोगों ने उनकी मांग मांग ली और राजनीतिक पार्टियों से जुड़े छात्र इस्तीफा देकर जेपी के साथ चले आये। इसमें कांग्रेस (Congress) के भी कई छात्र नेता शामिल थे। इसके बाद जेपी ने आंदोलन की कमान संभाल ली और बिहार के मुख्यमंत्री (Chief Minister) अब्दुल गफूर खान से इस्तीफे की मांग की गई थी।
नीतीश की समता पार्टी के गठन में प्रमुख भूमिका
नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने जब राजद (RJD) से अलग होकर नई समता पार्टी बनाई तो पार्टी के गठन में अब्दुल गफूर खान (Abdul Gafoor Khan) ने अहम भूमिका निभाई थी। वह समता पार्टी (Samta party) के संस्थापक अध्यक्ष भी रहे हैं। 1996 में समता पार्टी के टिकट पर अब्दुल गफूर खान गोपालगंज से सांसद चुने गए थे।
10 जुलाई 2004 को लंबी बीमारी के बाद पटना में उनका निधन हो गया. उसके बाद से अबतक बिहार में कोई और मुस्लिम मुख्यमंत्री नहीं बन सका है.