सोमवार को मध्य नागपुर में उस वक्त तनाव फैल गया जब अफ़वाह फैली कि औरंगज़ेब की कब्र को हटाने की मांग को लेकर बजरंग दल के विरोध प्रदर्शन के दौरान कुरान को जला दिया गया। इस अशांति के कारण पुलिस पर पथराव हुआ जिसमें दो लोग घायल हो गए।
नागपुर में चिटनिस पार्क और महल इलाकों में हिंसा भड़की, वहीं कोतवाली और गणेशपेठ से भी उपद्रव की खबरें आईं। भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस को आंसू गैस के गोले दागने पड़े।
मामला तब और बिगड़ गया जब बजरंग दल के सदस्यों ने महल में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा के पास प्रदर्शन किया। प्रदर्शन के वीडियो वायरल हो गए और जल्द ही अफ़वाहें फैलने लगीं कि कुरान को जला दिया गया है। इससे मुस्लिम समुदाय में आक्रोश फैल गया. हालांकि सच्चाई यह है कि कुरान नहीं जलाया गया था बल्कि कुरान की आयत लिखी हुई चादर जलाई गई थी।
जानकारी के मुताबिक, शाम को गणेशपेठ पुलिस स्टेशन में पवित्र ग्रंथ के कथित अपमान के संबंध में औपचारिक शिकायत दर्ज कराई गई। इसके जवाब में शहर के विभिन्न हिस्सों में बड़ी संख्या में लोग एकत्र हुए, जिसके कारण पुलिस को गश्त बढ़ानी पड़ी और अतिरिक्त सुरक्षा बल बुलाना पड़ा।
तनाव बढ़ने पर चिटनिस पार्क और महल में पथराव की खबरें आईं, जिसके बाद पुलिस को आंसू गैस के गोले दागने पड़े। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि संवेदनशील इलाकों में त्वरित प्रतिक्रिया दल (क्यूआरटी), दंगा नियंत्रण पुलिस और राज्य रिजर्व पुलिस बल (एसआरपीएफ) को तैनात किया गया है।
इस बीच, बजरंग दल के नेताओं ने आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि उन्होंने केवल औरंगजेब का पुतला जलाया था, कुरान नहीं।
स्थिति को और अधिक बिगड़ने से रोकने के लिए अधिकारी हाई अलर्ट पर हैं तथा पूरे शहर से अतिरिक्त पुलिस बल बुलाया गया है।
इस मामले पर AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी का कहना है कि, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और उनके मंत्री लगातार ऐसे बयान दे रहे हैं जिससे माहौल ख़राब हो रहा है। मैं नागपुर हिंसा की निंदा करता हूं। लेकिन कपड़े पर लिखी कुरान की आयतें क्यों जलाई गई और शिकायत के बाद भी कार्रवाई क्यों नहीं की गई?