प्रस्तावित समान नागरिकता अधिनियम (UCC) के विरोध में पुणे में अल्पसंख्यक समुदाय के नेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं एवं धर्म गुरुओं की मीटिंग का अयोजन हुआ हैं।
मीटिंग में मौजूद सभी लोगों ने कहा, प्रस्तावित यूनिफॉर्म सिविल कोड भारतीय संविधान के तहत धार्मिक अधिकारों का उल्लंघन है. यह अधिनियम अल्पसंख्यकों के धार्मिक अधिकारों पर अतिक्रमण होगा, इसलिए इस अधिनियम का अल्पसंख्यक समुदाय द्वारा विरोध किया जा रहा है।
केंद्र सरकार से अपेक्षा की जाती है कि वह सभी नागरिकों को स्थापित समान नागरिक कानून की प्रकृति को समझने और इस कानून के कार्यान्वयन के लिए बिना किसी जल्दबाजी के इस पर व्यापक सहमति प्राप्त करने पर अधिक जोर देगी।
इस मीटिंग का आयोजन नेशनल कॉन्फ्रेंस फॉर माइनॉरिटीज की ओर से किया गया था, जिसमें असम से लोकसभा सांसद नबा कुमार सरनिया एवं जमीयत उलेमा ए हिंद के अध्यक्ष कारी इदरीस अंसारी मुख्य रूप से मौजूद रहे।
सांसद नबा कुमार के मुताबिक़, केंद्र सरकार को समान नागरिक संहिता के संदर्भ में कोई जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए और देश की विविधता को देखते हुए समान नागरिक संहिता अल्पसंख्यकों के साथ-साथ आदिवासियों के अधिकारों का भी उल्लंघन करेगी. क्या वाकई देश को ऐसे कानूनों की जरूरत है? इसे देखते हुए सरकार को प्रस्तावित समान नागरिक संहिता पर अपनी जिद छोड़ देनी चाहिए।
नेशनल कॉन्फ्रेंस फॉर माइनॉरिटीज के अध्यक्ष राहुल दंबाले ने कहा, समान नागरिकता कानून के संदर्भ में सरकार को अल्पसंख्यक समुदाय के विरोध को ध्यान में रखना चाहिए और नागरिकों को इस कानून के संदर्भ में अपने विचार व्यक्त करने के लिए पर्याप्त समय देना चाहिए।
केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त आयोग के पास फिलहाल 14 जुलाई तक की समय सीमा है और आज की बैठक के माध्यम से हम केंद्र सरकार से मांग करते है कि समय सीमा को अगले छह महीने के लिए बढ़ाया जाना चाहिए।
प्रस्तावित समान नागरिक संहिता का ईसाई समुदाय विरोध कर रहा है. इसके विरुद्ध लुकास केदारी ने प्रस्ताव दिया कि अगले सप्ताह तक 1 लाख आपत्तियां दर्ज की जाएंगी।
बैठक में लुकास केदारी, जुबैर मेमन, जाहिदभाई शेख, नेशनल कॉन्फ्रेंस फॉर माइनॉरिटी के सुवर्णा दंबाले, प्रशांत मस्के, सुफियान कुरेशी, खिसल जाफरी, इकबाल शेख, यूसुफ जकाती, राजेंद्र सुराणा, अविनाश भाकरे, सोनिया ओवल, जवाहर गुनाले, अर्चना केदारी, प्रमोद पठारे, एंटोन कदम, जॉन मंटोडे, रेफेंस अल्फांसो, मेघा अठावले, जैकलिन फॉरेस्टर, अनीता धिमधीमे आदि गणमान्य लोग उपस्थित थे, बैठक का संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन जुबैर मेमन ने किया।
आपको बता दें कि, इस बैठक में मुस्लिम, बौद्ध, जैन, सिख और ईसाइयों के प्रतिनिधियों ने UCC कानून के संदर्भ में अपनी आपत्तियां भी दर्ज़ कराई।