तीनों कृषि कानूनों को लेकर जबसे किसान आंदोलित हैं तबसे देश की मीडिया और भाजपा के लोगों द्वारा किसानों को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है। कभी उन्हें खालिस्तानी तो कभी आतंकवादी तक कहा जा रहा है।
26 जनवरी की घटना के बाद जब सरकार द्वारा आंदोलन को कुचलने की भरपूर कोशिश की गई। किसान नेता राकेश टिकैत को गिरफ्तार करने की कोशिश की गई। सरकार के दमन से तंग आकर किसान नेता राकेश टिकैत मीडिया के सामने रोने को मजबूर हो गए। उनके आँसुओं ने किसान आंदोलन में जान फूंक दिया। केवल पंजाब और हरियाणा ही नहीं बल्कि पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसानों के समर्थन में महापंचयतें होने लगी। इन महापंचायतों में आने वाली भीड़ को देखकर सरकारी तंत्र ने भी किसान आंदोलन के खिलाफ बोलना बंद कर दिया।
अपने ज़हरीले बोल के कारण हमेशा सामाजिक सौहार्द को बिगाड़ने वाले भाजपा के सांसद साक्षी महाराज ने जहर उगलते हुए किसानों के खिलाफ बहुत कुछ बोला है।
उन्होंने कहा कि वे किसान हैं ही नहीं या तो खालिस्तानी हैं या आतंकी हैं या दलाल हैं या राजनैतिक पार्टी या कुछ लोग हैं।
उन्होंने आगे कहा कि अब हम अगर राकेश टिकैत को ही ले तो 2014 में वह हमारी पार्टी के प्रत्याशी के खिलाफ अजीत सिंह की पार्टी से चुनाव लड़े थे। 9000 भी वोट नहीं मिले थे। उन्होंने कहा जिस आदमी को 9000 वोट न मिले हों वो अपनी धरती तलाशने के लिए किसानों का आंदोलन लेकर खड़ा हो गया है।
उन्होंने आगे कहा कि ऐसे ही पंजाब में कांग्रेस की सरकार है वहां से कुछ लोगों को आगे कर दिया गया। राजस्थान में कांग्रेस की सरकार है वहां भी कुछ लोगों को आगे कर दिया गया। ये राजनैतिक स्टैंड है। किसान तो खेतों में काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि क्या हरियाणा में किसान नहीं हैं? क्या उत्तर प्रदेश में किसान नहीं हैं? कहीं के किसान आंदोलित नहीं हैं बस दिल्ली से सटे पंजाब और राजस्थान के बॉर्डर पर कुछ राजनैतिक दलों के लोग हैं।