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मुस्तफाबाद की जामा मस्जिदों मे लाइब्रेरी की शुरूआत, ईबादत और पढ़ाई एक साथ होंगी

उत्तर पूर्वी जिले के मुस्तफाबाद इलाके की जमा मस्जिद की इंतजामिया समिति ने बच्चों को पढ़ने ने लिए एक लाइब्रेरी शुरू की गयी है। ताकि कौम के बच्चे दुनिया की तालीम भी हासिल कर सके।

उत्तरी जिले के ACP वेद प्रकाश ने मुख्य अतिथि के तौर पर शिरकत करके प्रबंधन समिति के लोगो के साथ लाइब्रेरी का उट्घाटन किया।

वेद प्रकाश ने इस मौके पर कहा कि “किसी भी समाज को इज्जत तभी मिल सकती है जब वह समाज शिक्षित हो और यदि वह समाज धार्मिक संस्थानों के जरिये शिक्षा देना शुरू कर दे तो समझ लेना चाहिए कि अब इंकलाब की शुरुवात हो गयी है और समाज व देश की तरक्की को कोई नहीं रोक सकता है”।

वेद प्रकाश ने अपने संबोधन मे कहा कि मस्जिदों मे लाइब्रेरी बनना अपने आप मे बेहद सराहनीय कदम है मुस्लिम धर्म के हिसाब से पढाई के लिए यदि आपको सात समंदर पार भी जाना पड़े तो आपको जाना चाहिए तो हम क्यों नहीं पढाई पर जोर दे रहे है और लाइब्रेरी एक ऐसी जगह है जहाँ पर आप बैठकर एकांत मे जितना चाहे पढ़ सकते हैं और लाइब्रेरी यदि मस्जिद मे हो तो इबादत और पढाई साथ साथ हो जायेंगे और कामयाबी आपके कदम चूमेगी।

जामा मस्जिद पब्लिक लाइब्रेरी का खुलना अपने आप मे एक मिसाल कायम करेगी व सभी मस्जिदों को इससे सीख लेकर अपने अपने इलाकों मे लाइब्रेरी या कोई भी शिक्षा के काम की शुरुआत करनी चाहिए इस काम मे मेरी कही भी जरूरत पड़ेगी तो मैं हर समय आपके लिए तैयार रहूंगा।

सोफिया संस्था के अध्यक्ष सुहैल सैफी ने कहा कि “कोई भी समाज, कोई भी देश, कोई भी व्यक्ति जब तक तरक्की नहीं कर सकता जब तक शिक्षा का स्तर बेहतर न हो जाये तो हमे ये अभियान चलाने की जरूरत है कि हमारी मस्जिदे हमारा शिक्षा का घर भी बने और बच्चे यहाँ पढ़ने के साथ साथ अपनी नमाजों की पाबंदी भी कर सकें,मस्जिदों के तमाम हॉल बहुत कम समय के लिए इस्तेमाल होते है यदि इनमे कोई शिक्षा का काम शुरू किया जाये तो समाज को बदलाव की तरफ ले जाया सकता है”।

उन्होंने आगे कहा कि “हम एक नए और शिक्षित भारत की कल्पना कर सकेंगे,जामा मस्जिद की इस पहल की वजह से हम समाज में एक नया अध्याय लिखने की तरफ बढ़ रहे हैं और मुझे यकीन है कि समाज इस बदलाव को स्वीकार करेगा और एक नयी शुरुवात का स्वागत करेगा इस लाइब्रेरी को शुरू करवाने मे मौलाना आकिल साहब ने बहुत मेहनत की है।

इस मोके पर मौलाना आकिल, हाजी अब्दुर रहमान(सदर जामा मस्जिद),महबूब मालिक, मौलाना सरवर, मौलाना इरशाद(इमाम जामा मस्जिद) और डॉक्टर उस्मान के साथ अन्य ज़िम्मेदार लोग मौजूद रहें।

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