मुग़लों की बनाईं इमारतों से अरबों रूपया आता है, राजकोष में जमा होता है, मुग़लों ने भारत की जीडीपी को 25% तक पहुंचाया, तब जाकर यह देश “सोने की चिड़िया” कहलाया।
मुग़लों ने कैलाश मानसरोवर को चीन से छीनकर भारत में मिलाया और भारत को अखंड भारत बनाया. मुग़ल काल में भारत के पास कोहेनूर हुआ करता था।
मुग़ल काल में भारत की धमक ऐसी थी कि जिन अंग्रेजों का सूरज नहीं डूबता था, उन अंग्रेज़ों ने मुग़लों के दरबार में नाक रगड़कर माफी मांगी थीं।
अंग्रेजों को माफीनामे लिखने वाले ‘वीर’ के अनुयायी मुग़लों पर तंज कर रहे हैं कि, “मुग़लों की औलादें भारत में रिक्शा चला रही हैं. यह तंज दरअस्ल में हीनभावना से ग्रस्त मानसिकता को दर्शा रहा है. यह अहसान फरामोशी की पराकाष्ठा है।
जिनके मकबरों से ही अरबों रुपया भारतीय राजकोष में जमा हो जाता हो, उन पर ऐसी बेहूदा टिप्पणी करना अहसान फरामोशी भी कहा जाएगा. हालांकि मुग़ल शहज़ादे 1857 की जंग में अंग्रेज़ों से लड़ते हुए शहीद हो गए थे, जो बचे वो उनके दूर दराज के रिश्तेदार रहे होंगे।
खैर वो रिक्शा चलाएं, या पान की दुकान चलाएं, लेकिन इतिहास में उनके नाम वो उपलब्धियां हैं, जो इस देश में किसी के नाम नहीं हैं, अंग्रेज़ों के भी नहीं और उनके सहयोगियों के पास भी नहीं।
(यह लेखक के अपने विचार हैं लेखक वसीम अकरम त्यागी पत्रकार हैं)
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