इस्राएल और फलीस्तीन के बीच मस्जिद ए अक़्सा से शुरू हुआ तनाव अब युद्ध का रूप ले लिया है। गाज़ा पट्टी पर शासन कर रहे इस्लामिक संगठन हमास और इस्राएली आर्मी के बीच जारी युद्ध में अब तक 139 फाकिस्तीनी नागरिकों की जान जा चुकी है। जिसमें भारी संख्या में बच्चे भी शामिल हैं।
हमास के रॉकेटों के जवाब में रक्षात्मक कार्यवाई का हवाला देते हुए इस्राएली सेना ने फिलिस्तीनी आम नागरिकों का निशाना बनाना शुरू कर दिया है। कल इस्राएली सेना ने ग़ाज़ा में स्थित अल-जज़ीरा समेत कई मीडिया संस्थानों को निशाना बनाते हुए एक बहुमंज़िला इमारत को ध्वस्त कर दिया।
इस्राएली बर्बरता के विरोध में अमेरिका समेत तमाम देशों में लोग विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। तमाम मुस्लिम देशों ने बैठक कर इस्राएल के बर्बरता की भर्त्सना की है। साथ ही इस्राएल को चेतावनी देते हुए हमलों को रोकने की मांग की है तथा शांति बहाल करने की अपील की है।
वैसे तो ईरान, पाकिस्तान, सऊदी अरब, यूएई और तुर्की समेत तमाम इस्लामिक देश इजराइल के खिलाफ है लेकिन तुर्की इस मसले को लेकर ज़्यादा सख्त है। तुर्की कई बार इजराइल को चेतावनी देते हुए देख लेने की धमकी दे चुकी है।
पाकिस्तानी अखबार एक्सप्रेस के अनुसार तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोआन ने इस्राएल के खिलाफ सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि अगर पूरी दुनिया भी खामोश हो जाये तब भी तुर्की आवाज़ उठता रहेगा।
अखबार के अनुसार एर्दोआन अपने पार्टी के पदाधिकारियों से बात चीत के दौरान कह रहे थे “बैतूल मुक़द्दस मुसलमानों के साथ साथ ईसाईयों का भी पवित्र स्थल है। उन्होंने कहा इस्राएली दहशतगर्दों ने वहां अमानवीयता की सारी हदें पार कर दी है। इस मसले पर मैंने दुनिया के तमाम बड़े देशों के नेताओं से बात की है। सबने मेरे स्टैंड का समर्थन किया है। लेकिन फिर भी अगर पूरी दुनिया इस्राएली ज़ुल्म के खिलाफ खामोश हो जाये तब भी मैं चुप नहीं बैठूंगा।”
एर्दोआन ने आगे कहा “मैंने जिस तरह सीरियाई सीमाओं पर दहशतगर्दों को रोका था उसी तरह मस्जिद ए अक़्सा की तरफ बढ़ते हुए हाथों को तोड़ देंगे।
उन्होंने कहा कि इजराइल की दहशतगर्दी के खिलाफ आवाज़ उठाना हर संवेदनशील इंसान का फर्ज है।
उन्होंने पूरे अंतराष्ट्रीय जगत से अपील करते हुए कहा कि सभी को इजराइल की बर्बरता के खिलाफ मिलकर आवाज़ उठानी चाहिए।