अल्पसंख्यकों के कल्याण को लेकर ज्यादातर राज्यों का एक ही जैसा रवैया हैं, दिल्ली में वक्फ बोर्ड के कर्मचारियों और इमामों को वेतन नहीं मिल रहा हैं, बिहार में उर्दू अकादमी में अधिकारी नहीं हैं तो तेलंगाना में अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के पास फंड ही नहीं हैं।
तेलंगाना के अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के अधीन 7 से अधिक संस्थाएं आती हैं जिनमें राज्य वक्फ बोर्ड, तेलंगाना राज्य हज समिति, तेलंगाना राज्य अल्पसंख्यक वित्त निगम, तेलंगाना राज्य उर्दू अकादमी और अल्पसंख्यकों के लिए तेलंगाना अध्ययन मंडल शामिल हैं।
लेकीन कई महीनों से तेलंगाना अल्पसंख्यक कल्याण विभाग राज्य का सबसे उपेक्षित विभाग बन गया है. जिसके पास न तो बजट हैं और न ही अधिकारी, फिलहाल यह भगवान भरोसे चल रहा हैं।
आपको बता दे कि, अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के तहत आने वाली सभी सात संस्थाएं एक सचिव और दो अधिकारियों द्वारा चलाई जा रहीं हैं।
न्यूज़ मीटर की रिपोर्ट के मुताबिक़, विभाग के कामकाज पर नजर रखने वाला कोई अधिकारी इसलिए नहीं हैं क्योंकि तेलंगाना सरकार ने एमबी शफीउल्लाह को तेलंगाना अल्पसंख्यक आवासीय संस्थान शैक्षिक सोसायटी के सचिव का पूरा अतिरिक्त प्रभार तथा हज समिति के कार्यकारी अधिकारी के अतिरिक्त प्रभार के साथ सचिव टीएमआरईएस के रूप में नियुक्त किया गया।
जिम्मेदारियों का बोझ अतिरिक्त होने की वजह से एमबी शफीउल्लाह विभाग के कामकाज को ठीक से नहीं कर पा रहें हैं, इसी कारण फंड का काम भी अटका रहता हैं।
इस मामले पर यूनाइटेड मुस्लिम फोरम ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि, वक्फ बोर्ड समेत सभी अल्पसंख्यक संस्थानों में जल्द से जल्द पूर्णकालिक अधिकारियों की नियुक्ति की जाएं।