कर्नाटक के मैसूर ज़िले में एक हैरान कर देने वाली घटना हुई है। मुस्लिम समुदाय से नफरत ने कुछ कट्टरपंथी हिन्दू नौजवानों को इस हद्द तक पागल कर दिया कि उन्होंने अपने ही धर्म की किताबों को आग के हवाले कर दिया।
कर्नाटक के मैसूर में कुछ नफ़रती लोगों ने एक लाइब्रेरी को आग के हवाले कर दिया क्यूंकि उस लाइब्रेरी को मोहम्मद इस्हाक़ नाम का एक आदमी चला रहा था।
62 साल के इस्हाक़ पेशे से मजदूर हैं।
आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण इस्हाक़ पढ़ाई नहीं कर सके इसीलिए उन्होंने ये ठान लिया कि वो एक लाइब्रेरी बनाएंगे ताकि पैसे न होने के कारण कोई भी इंसान पढ़ाई से महरूम न रह जाये।
इस्हाक़ ने अपनी मेहनत की कमाई से एक लाइब्रेरी बनाई थी। इस लाइब्रेरी में लगभग 11,000 से ज़्यादा किताबें थीं। इस लाइब्रेरी में इस्हाक़ ने सभी तरह की किताबें रखी थीं। धार्मिक किताबों से लेकर सभी तरह की किताबें मौजूद थी। कोई भी इंसान इस लाइब्रेरी में आकर मुफ्त में कोई से भी किताब पढ़ सकता था।
इस लाइब्रेरी में उन्होंने 3000 भागवत गीता की प्रतियां भी रखी थी जो नफ़रत के भेंट चढ़ गई। लाइब्रेरी में क़ुरान और बाइबिल की भी कुछ प्रतियां भी रखी हुई थी।
घटना के बारे में ज़िक्र करते हुए नम आँखों के साथ इस्हाक़ बताते हैं “एक आदमी जो कि लाइब्रेरी के पास ही रहता है उसने मुझे सुबह 4 बजे बताया कि लाइब्रेरी में आग लग गई है। मैं जब तक वहां पहुँचा तब तक सब कुछ जलकर राख हो चुका था।
पिछले कुछ वर्षों से ये एक सोची समझी साज़िश के तहत हो रहा है। अब यह एक अभियान का रूप ले चुकी है। इस्लाम, कुरान, मुसलमान, पैगम्बर, जिहाद जैसे कुछ शब्दों के प्रति हिन्दू नौजवानों के मन में नफरत भरा जा रहा है।
इसी नफ़रत की आग में इस्हाक़ की वर्षों की मेहनत जलकर खाक हो गई। इसी नफ़रत ने इस्हाक़ के सपनों को जलाकर राख कर दिया।