भारत में कोरोना संक्रमण तेज़ी से फैल रहा है। कोरोना वायरस का दूसरा लहर और अधिक खतरनाक रूप में देखने को मिला है। इस बार कोरोना वायरस तेज़ी से फैल भी रहा है साथ में कोरोना का ये स्ट्रेन ज़्यादा प्रभावशाली भी है।
ऐसे में अस्पतालों में मरीजों के लिए जगह कम पड़ गयी है। ऑक्सीजन और दवा की कमी के कारण लोग मर रहे हैं। इस बार मरने वालों की तादाद भी पहले के मुकाबले ज्यादा है। शमशानों और क़ब्रिस्तानों में जगह नहीं है। लाशों का अंतिम क्रियाक्रम करने के लिए भी लोगों को 10 से 12 घंटे तक इंतेज़ार करना पड़ रहा है।
ऐसी स्तिथि में मौतों का सरकारी आंकड़ा काफी चौकाने वाला है। दरअसल ये आंकड़ा वास्तविक आंकड़े से काफी कम है। अखबार के रिपोर्टर जब शमशान घाटों पर जाकर मालूम करते है तो चौकाने वाली हक़ीक़त सामने आरही है। सरकारी अधिकारियों द्वारा जो आंकड़ा बताया जा रहा है शमशान घाट में उससे पांच गुणा अधिक लोगों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है।
भारत की स्तिथि पर गहराई से नज़र रखने वाली मिशिगन यूनिवर्सिटी के महामारी विशेषज्ञ भ्रमर मुखर्जी का कहना है कि भारत के सरकारी आंकड़े पूरी तरह ग़लत है। आंकड़ों को छुपाया जा रहा है। उनका कहना है कि उन्होंने जो मॉडल बनाया है उसके आधार पर उनका ये दावा है कि मौतें बताई जा रही संख्या से पांच गुणा अधिक है।
उनके द्वारा ये भी कहा गया है की कुछ समय पहले तक भारत की स्तिथि ठीक थी। ये सोचकर कि अब स्तिथि ठीक हो गयी है बला टल गई है अधिकारियों ने और आम नागरिकों ने सावधानी बरतना छोड़ दिया।
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अब तक हुई मौतों का आंकड़ा को 2 लाख बताया जा रहा है वो संदिग्ध है। असल आंकड़ा इससे कहीं ज़्यादा है।
सरकारी अधिकारी और प्रशासन के लोग मौतों की गिनती कम कर रहे हैं। उनको ऐसा करने के लिए ऊपर से आदेश दिया गया है। परिजन भी डर और शर्म के मारे मौत का सही कारण नहीं बता रहे हैं जिसके कारण मौतों के असल आंकड़े का पता नहीं चल पा रहा है।
विदेशी अंग्रेजी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स ने ये दावा किया है कि भोपाल में पिछले 14 दिनों में एक हज़ार से अधिक लाशों के अंतिम संस्कार हुआ है। जबकि सरकारी आंकड़ों में केवल 41 लोगों की मारने की जानकारी है। ये बेहद हैरान करने वाला है। तकरीबन यही स्तिथि गुजरात और उत्तर प्रदेश की है।
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि केंद्र सरकार द्वारा राज्यों सरकारों के ऊपर आंकड़ों को कम करके बताने का दबाव बनाया जा रहा है। खासकर भाजपा शाषित राज्यों में ये काम ज़्यादा हो रहा है क्योंकि एक ही पार्टी की सरकार होने के कारण ये काम आसानी से हो रहा है।