मुसलमानों को बदनाम करने के लिए गोदी मीडिया के बड़े बड़े चैनलों ने गलत जानकारी के साथ एक फेक न्यूज़ चला दी. जिसके बाद कट्टरपंथियों ने मुसलमानों को निशाना बनाना शुरू कर दिया।
कब्रिस्तान में लोहे की ग्रिल वाली कब्र की तस्वीर को तमाम मीडिया संस्थानों ने इस दावे के साथ शेयर किया कि पाकिस्तान के लोग बलात्कार को रोकने के लिए अपनी बेटियों की कब्र को लोहे की ग्रिल से बंद कर रहें हैं।
भारत की सबसे बड़ी न्यूज़ एजेंसी ANI Digital ने उस तस्वीर को ट्वीट करते हुए लिखा कि, पाकिस्तानी माता-पिता बलात्कारियों से से बचाने के लिए अपनी बेटियों की कब्रों को बंद कर रहें हैं।
अंग्रेजी के प्रसिद्ध न्यूज़ पेपर टाईम्स ऑफ इंडिया ने भी अपनी वेबसाईट पर इस ख़बर को हुबहू उसी दावे के साथ शेयर किया।
इसके अलावा मिरर नाउ , दिप्रिंट , इंडिया टुडे , वियन , इंडियाटीवी , टाइम्स नाउ , डीएनए इंडिया , ऑपइंडिया हिंदी , न्यूज24 , एबीपी न्यूज , अमर उजाला , न्यूज18 , फर्स्टपोस्ट और जागरण सहित अन्य मीडिया संगठनों ने भी अपनी-अपनी रिपोर्ट में इसी तस्वीर का इस्तेमाल किया. इनमें से ज़्यादातर ख़बरें ANI के सिंडिकेटेड फीड से थीं।
जिहाद वॉच के निदेशक रॉबर्ट स्पेंसर ने भी इसी तस्वीर को ट्विट करते हुए लिखा कि, ‘पाकिस्तान: नेक्रोफिलिया को रोकने के लिए मृत बेटियों की कब्रों पर माता-पिता ताला लगाते हैं’।
ऑल्ट न्यूज़ के फैक्ट चेकर मौहम्मद ज़ुबैर ने जब इस ख़बर की सच्चाई जानने की कोशिश की तो पता चला कि, यह कब्र भारत के हैदराबाद में स्थित मस्जिद ई सालार मुल्क के सामने स्थित कब्रिस्तान की हैं।
ऑल्ट न्यूज़ की ख़बर के मुताबिक़, मस्जिद ई सालार मुल्क के मुअज्जिन मुख्तार साहब ने बताया कि, ताला बंद कब्र, जो लगभग 1.5 से 2 साल पुरानी थी, संबंधित समिति की अनुमति के बिना बनाई गई थी. यह प्रवेश द्वार के ठीक सामने स्थित है, जिससे मार्ग अवरुद्ध हो जाता है। इस मुद्दे पर मस्जिद कमेटी के सदस्यों के बीच आठ दिनों तक चर्चा हुई।
ग्रिल या जाली के पीछे का कारण बताते हुए उन्होंने कहा, “बहुत से लोग यहां आते हैं और बिना अनुमति के पुरानी कब्रों पर शवों को दफनाते हैं। जिन लोगों के यहां पहले से ही उनके करीबी आराम कर रहे हैं, उन्हें तब से शिकायत है जब से वे यहां फतेहा पढ़ने आते हैं, आगे किसी भी शव को दफनाने से रोकने के लिए, परिवारों ने वहां ग्रिल लगा दी है।
इस क़ब्र की तस्वीर को इस दावे के साथ प्रसारित किए जाने की सूचना पर कि यह पाकिस्तान से है, मुख्तार साहब ने इसका खंडन किया और कहा कि ग्रिल का निर्माण लोगों को कब्र पर मुहर लगाने से रोकने के लिए भी किया गया था क्योंकि यह गेट के ठीक सामने था।