आगरा में ऐतिहासिक मुगलकालीन स्मारक मुबारक मंज़िल (जिसे औरंगज़ेब की हवेली के नाम से भी जाना जाता है) के एक बड़े हिस्से को ध्वस्त कर दिया गया है।
यह घटना राज्य पुरातत्व विभाग द्वारा इसे संरक्षित करने के लिए ज़ारी अधिसूचना के कुछ ही महीने बाद सामने आया है. स्थानीय निवासियों के अनुसार विध्वंस के बाद साइट से लगभग 100 से अधिक ट्रैक्टर-लोड मलबा हटाया गया है।
स्थानीय लोगों का दावा है कि यह कार्य अधिकारियों की मिलीभगत से एक बिल्डर ने किया है. आपको बता दें कि, मुगल बादशाह औरंगजेब के शासनकाल के दौरान बनी इस मुबारक मंज़िल का ऐतिहासिक महत्व बहुत ज़्यादा है।
यह शाहजहाँ, शुजा और औरंगजेब जैसे महत्वपूर्ण मुगल हस्तियों के निवास स्थान रहीं है. बाद में ब्रिटिश शासन के दौरान इस इमारत को संशोधित किया गया, इसे कस्टम हाउस और नमक कार्यालय बना दिया गया और 1902 तक इसे तारा निवास के नाम से जाना जाने लगा।
इस जगह पर लगीं एक पट्टिका से पता चलता है कि औरंगजेब ने सामूगढ़ की लड़ाई में अपनी जीत के बाद इसका निर्माण करवाया था।
राज्य पुरातत्व विभाग ने सितंबर में एक अधिसूचना जारी कर इस स्थल के प्रस्तावित संरक्षण पर आपत्तियां आमंत्रित की थीं, लेकिन कोई आपत्ति नहीं उठाई गई। अभी दो सप्ताह पहले ही लखनऊ के अधिकारियों ने संरक्षण प्रयास शुरू करने के लिए स्थल का दौरा किया था। हालांकि, उनके दौरे के कुछ समय बाद ही विध्वंस शुरू हो गया, जिससे स्मारक खंडहर में तब्दील हो गया।
स्थानीय लोगों का आरोप है कि बिल्डर ने पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के साथ मिलकर आपत्ति के बावजूद इमारत को ध्वस्त कर दिया।
स्थानीय निवासी कपिल वाजपेयी ने निराशा जताते हुए कहा, “मैंने अधिकारियों से कई शिकायतें कीं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई, अब तक 70% संरचना नष्ट हो चुकी है।
आगरा के जिला मजिस्ट्रेट अरविंद मल्लप्पा बंगारी ने पुष्टि की है कि अधिकारियों को स्थिति की जानकारी है और उन्होंने जांच शुरू कर दी है।
उन्होंने कहा, “हमने मामले का संज्ञान लिया है. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण और राजस्व विभाग को जांच करने का निर्देश दिया गया है. उप-विभागीय मजिस्ट्रेट को साइट का दौरा करने और रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा गया है। इस बीच, साइट पर कोई और बदलाव नहीं होने दिया जाएगा।