आज़मगढ़: सात वर्षीय मुस्लिम बच्चे की हत्या, परिजन बोले- वह बच्चा था, उसे पता ही नहीं था कि वे उससे नफ़रत क्यों करते थे
उत्तर प्रदेश के आज़मगढ़ में सात वर्षीय मुस्लिम बच्चे की निर्मम हत्या से क्षेत्र में सनसनी फैल गई है। परिवार ने इस घटना को घृणा अपराध करार देते हुए न्याय की मांग की है।
परिवार के अनुसार, 24 सितंबर को बच्चा अपने घर के बाहर खेलते हुए अचानक लापता हो गया। तलाश के बावजूद उसका कोई सुराग नहीं मिला और देर रात शिकायत दर्ज कराई गई। अगली सुबह उसका शव घर के पास ही एक पेड़ से लटका हुआ बोरी में मिला, जिस पर चोटों के निशान थे।
स्थानीय लोगों के मुताबिक, आरोपी पड़ोसी परिवार का बच्चा के पिता से व्यावसायिक रंजिश थी। पुलिस ने मुख्य आरोपी मंटू निगम, भाजपा कार्यकर्ता शैलिंदर निगम समेत छह लोगों को गिरफ्तार कर लिया है।
परिवारजन ने आरोप लगाया कि पुलिस ने समय पर कार्रवाई नहीं की, जिससे बच्चे की जान बचाई जा सकती थी। मृतक के चाचा ने कहा कि आरोपी ने बच्चे को अगवा करने के बाद परिवार के साथ मिलकर ढूँढ़ने का नाटक भी किया।
राष्ट्रीय उलेमा काउंसिल के प्रवक्ता तल्हा रशादी ने इसे “घृणा अपराध” बताया और कहा कि “ऐसी घटनाएं दक्षिणपंथी समूहों और मीडिया द्वारा फैलाई जा रही नफ़रत का नतीजा हैं।”
कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने घटना पर दुख जताते हुए लिखा कि यह समाज के “बीमार और सड़े हुए” हालात को दिखाता है।
सोशल मीडिया पर घटना को लेकर गुस्से के साथ-साथ कुछ नफ़रती प्रतिक्रियाएँ भी देखने को मिलीं। कुछ यूज़र्स ने आरोपी की तारीफ़ की और बच्चे को “आतंकवादी” तक कह डाला, जिस पर मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने तीखी प्रतिक्रिया दी।
परिवार ने मुख्य आरोपी को फांसी की सज़ा और आरोपी के घर को बुलडोज़र से गिराने की मांग की है। स्थानीय लोग भी कह रहे हैं कि यदि मुस्लिम आरोपियों के घरों पर बुलडोज़र चलाए जाते हैं तो आरोपी परिवार के घर पर भी वैसा ही होना चाहिए।
इस घटना ने पुलिस की कार्यशैली और बढ़ते सांप्रदायिक माहौल पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
कभी मासूमियत और हँसी से भरा घर अब मातम में डूबा है। परिवार का कहना है कि उन्हें समझ नहीं आता कि उनके बच्चे को सिर्फ उसकी पहचान के कारण क्यों मौत की सज़ा दी गई।

