एक टीवी डिबेट में मोहम्मद साहब के बारे में मेरे द्वारा कही गई बातों के कुछ हिस्से को वायरल करके कुछ लोग सोशल मीडिया पर मेरे लिए लगातार गाली बक रहे हैं।
इनमें कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्हें मैं व्यक्तिगत तौर पर जानता हूं और अब तक उनके बारे में पॉजिटिव राय रखता था। किंतु जिस तरह इस मुद्दे पर उनकी नफरत और कट्टरपन सामने आया है मैं आश्चर्यचकित हूं।
कुछ लोगों के दिमाग में जो एक गलत बात बैठा दी गई है कि हमारे धर्म में सब कुछ अच्छा ही अच्छा है और दूसरे के धर्म में सब कुछ खराब ही खराब है यह देश, समाज और मानवता के लिए बहुत खतरनाक है।
सभी जाति, सभी धर्म में पैदा हुए महापुरुषों ने मानवता के लिए कुछ कुछ अच्छे संदेश दिए हैं। हमें उन्हें ग्रहण करना चाहिए। हर जाति, हर धर्म में कुछ खराब बातें घुस गई हैं उनका त्याग कर देना चाहिए।
मैं इस्लाम में घुस गई कुप्रथाओं, अंधविश्वासों, कट्टरता और अज्ञानता का कतई समर्थक नहीं हूं। किंतु मोहम्मद साहब को बहुत बड़ा महापुरुष मानता हूं और मानता हूं कि उनकी शिक्षाएं मानव मात्र के लिए हैं।
मोहम्मद साहब की शिक्षा क्या है? उन्होंने कहा था:-
- ईश्वर एक है
- ईश्वर निर्गुण निराकार है
- मूर्ति पूजा गलत है
- नशा करना गलत है
- जुआ खेलना गलत है
- ब्याज लेना गलत है
- बेटियों की हत्या करना गलत है
- वेश्यावृत्ति गलत है
यही बातें बुद्ध, महावीर, कबीर, नानक, रैदास, दयानंद, विवेकानंद ने कहीं। इनमें से कौन सी शिक्षा गलत है?
जिस वीडियो के हिस्से काट कर चलाए जा रहे हैं उसके शुरू में मैंने बोला कि श्री राम और श्री कृष्ण के आदर्श केवल हिंदुओं के लिए नहीं, मानव मात्र के लिए थे। मुसलमान भाइयों को भी उन्हें अपनाना चाहिए। इसी तरह मोहम्मद साहब की शिक्षाएं केवल मुसलमान के लिए नहीं पूरी मानव जाति के लिए हैं। इसमें गलत क्या है?
दूसरी बात मैंने यह कही कि मोहम्मद साहब अकेले ऐसे महापुरुष हैं जो धर्म संस्थापक भी थे, समाज सुधारक भी थे और राजनीतिक भी थे । अगर कुछ लोग मेरी इस बात से सहमत नहीं है और उन्हें यह अपने महापुरुषों से तुलना करने जैसा लगा तो मैं उसके लिए माफी चाहता हूं।
क्योंकि मेरा उद्देश्य किसी महापुरुष की महिमा को कम करके किसी भाई की भावनाओं को ठेस पहुंचाना बिल्कुल भी नहीं था। मेरी स्पष्ट राय है कि सभी महापुरुषों ने हमें अच्छे संदेश दिए हैं और उन सब का हमें सम्मान करना चाहिए।
धर्म और जाति के आधार पर किसी महापुरुष से नफरत नहीं करनी चाहिए। यह भी याद रखना चाहिए कि रसखान ने कहा था-“मानस हो तो वही रसखान बस्यों ब्रज गोकुल गांव के ग्वारन।” और अल्लामा इकबाल ने कहा था- “है राम के वजूद पर हिंदुस्तान को नाज ।”
इसलिए संकुचित दृष्टि से बाहर निकलिए और सभी महापुरुषों का आदर करना सीखिए। वैसे मुझे यह भी पता चला है कि बीजेपी आईटी सेल ने नोएडा में गुर्जर युवाओं की एक मीटिंग बुलाकर निर्देश दिया है कि सोशल मीडिया पर इस क्लिप को ज्यादा से ज्यादा चलाकर राजकुमार भाटी को बदनाम करिए। यह हमारे द्वारा गुर्जर समाज में चलाए जा रहे राजनीतिक जागरूकता अभियान की बौखलाहट है।
(यह लेख राजकुमार भाटी के एक्स (ट्विटर) से लिया गया है)

