वंचित बहुजन आघाड़ी (VBA) प्रमुख प्रकाश आंबेडकर ने शुक्रवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के मुख्यालय के बाहर एक ऐतिहासिक प्रदर्शन का नेतृत्व किया।
उन्होंने कहा कि यह देश के इतिहास में पहली बार है जब आरएसएस के खिलाफ उसके दरवाजे के सामने मोर्चा निकाला गया है।
प्रकाश आंबेडकर ने ट्वीट कर कहा, “यह मोर्चा फुले-शाहू-अंबेडकर की विचारधारा पर चलने वाली वंचित बहुजन आघाड़ी ने निकाला। पूरे देश में हमारे ‘जन आक्रोश मोर्चा’ की चर्चा हो रही है। हमने पूरे देश को बताया कि हमारा देश फुले, शाहू और अंबेडकरवादी विचारधारा से चलेगा, मनुवाद से नहीं।”
उन्होंने बताया कि प्रशासन और पुलिस की ओर से मोर्चा रोकने के कई प्रयास किए गए, लेकिन आघाड़ी के कार्यकर्ता पीछे नहीं हटे। आंबेडकर ने कहा कि “आरएसएस के खिलाफ उसके दरवाजे के सामने मोर्चा निकालने की राजनीतिक हिम्मत सिर्फ वंचित बहुजन आघाड़ी में है।”
प्रकाश आंबेडकर ने अन्य राजनीतिक दलों पर सवाल उठाते हुए कहा, “वंचित बहुजन आघाड़ी ने जो कदम उठाया, वह बाकी पार्टियाँ इतने सालों में क्यों नहीं उठा सकीं? अब हमारा हर कार्यकर्ता यही सवाल हर पार्टी से पूछेगा।”
उन्होंने आरोप लगाया कि मोर्चे के दौरान आरएसएस ने वंचित बहुजन आघाड़ी के प्रतिनिधियों से भारत का संविधान और तिरंगा स्वीकार करने से इनकार कर दिया।
आंबेडकर ने दोहराया कि “हमारा देश फुले, शाहू और अंबेडकर की विचारधारा से चलेगा, मनुवाद से नहीं।”
इस जन आक्रोश मोर्चा में भारी संख्या में कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया। हाथों में तिरंगा और पोस्टर लिए लोगों ने “आरएसएस मुर्दाबाद” और “जय भीम” के नारे लगाए।

