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25 हज़ार लावारिश लाशों का अंतिम संस्कार करने वाले मोहम्मद शरीफ को मिला पद्मश्री पुरस्कार

उत्तर प्रदेश के अयोध्या के रहने वाले मोहम्मद शरीफ ने आज अपनी समाज सेवा से 125 करोड़ हिंदुस्तानियों का दिल जीत लिया।

धर्म जाने बिना निस्वार्थ 25 हज़ार लाशों का अंतिम संस्कार करने वाले मोहम्मद शरीफ को भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वार पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

समाजसेवी मोहम्मद शरीफ को लावारिस लाशों के मसीहा के रूप में जाना जाता हैं. उन्होंने प्रीतिदिन औसतन 2 से 3 लाशों का अंतिम संस्कार किया हैं. जिसके हिसाब से उन्होंने पिछले 25 वर्षों में 25 हज़ार से अधिक लावारिस शवों का अंतिम संस्कार किया है।

मोहम्मद शरीफ द्वार लावारिश शवों का अंतिम संस्कार करने के पीछे एक बहुत दुखद हादसा रहा हैं।

उनके बड़े बेटे मोहम्मद रईस का 28 वर्ष की अवस्था मे इंतकाल हो गया था. जिसके बाद वह लावारिश लाशों को ही अपना पुत्र मानकर अंतिम संस्कार करने लगे।

राष्ट्रपति भवन के अनुसार “राष्ट्रपति कोविंद ने सामाजिक कार्य के लिए श्री मोहम्मद शरीफ को पद्मश्री प्रदान किया. वह एक साइकिल मैकेनिक से सामाजिक कार्यकर्ता बने हैं. वह पूरी गरिमा के साथ सभी धर्मों के लावारिस शवों का अंतिम संस्कार करता है।”

पत्रकार बृजेश मिश्रा के अनुसार “अयोध्या के मोहम्मद शरीफ, लावारिस लाशों के मसीहा हैं. उन्होंने 25 हजार लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार किया. मरने के बाद जिनका कोई नही था उन्हें मिट्टी और आग दी. वो हमारे सामाजिक मूल्यों का प्रतीक है. आज उन्हे पद्मश्री से अलंकृत किया गया. समाज के प्रति अप्रतिम योगदान प्रेरणादायी है।”

मोहम्मद शरीफ के बेटे मोहम्मद सगीर का कहना हैं कि आज हमारे अब्बा को पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित किया गया है. यह हमारे लिए बहुत ज्यादा खुशी की बात है. हम भारत सरकार का जितना भी धन्यवाद करें उतना कम है।

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