केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने भारत के चुनाव आयोग (ECI) द्वारा राज्य में मतदाता सूचियों का विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) करने के फैसले की तीखी आलोचना की है। उन्होंने इसे “लोकतांत्रिक प्रक्रिया का अपमान” बताते हुए कहा कि केरल इस कदम का कड़ा विरोध करेगा।
मुख्यमंत्री विजयन ने मंगलवार को कहा, “पुरानी मतदाता सूचियों के आधार पर और स्थानीय चुनावों से ठीक पहले इस प्रक्रिया को तेज़ी से लागू करना गंभीर चिंता का विषय है। यह लोकतंत्र को कमजोर करने की कोशिश है, जिसका राज्य भर में एकजुट होकर विरोध किया जाएगा।”
चुनाव आयोग ने हाल ही में केरल सहित 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में विशेष गहन पुनरीक्षण के दूसरे चरण की घोषणा की थी। इस घोषणा के तुरंत बाद विजयन की यह प्रतिक्रिया सामने आई।
इससे पहले सितंबर में केरल विधानसभा ने सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित कर चुनाव आयोग से इस प्रक्रिया पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया था। विधानसभा ने चेताया था कि इससे “मतदाताओं के अधिकारों को नुकसान” पहुँच सकता है।
सत्तारूढ़ वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (LDF) और विपक्षी संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (UDF) — दोनों ही दलों ने मिलकर प्रस्ताव को समर्थन दिया था और मतदाता सूचियों को निष्पक्ष एवं पारदर्शी तरीके से अद्यतन करने की मांग की थी।
चुनाव आयोग के अनुसार, केरल में यह संशोधन प्रक्रिया 4 नवंबर से 4 दिसंबर 2025 तक चलेगी। इस बीच राज्य चुनाव आयोग (SEC) भी स्थानीय स्वशासन (L.S.G.) चुनावों की तैयारी में जुटा है और उसने मतदाता सूची का अंतिम मसौदा पहले ही प्रकाशित कर दिया है।
दोनों प्रक्रियाओं के एक साथ चलने से प्रशासनिक भ्रम की स्थिति उत्पन्न होने की आशंका जताई जा रही है। राज्य में 2.78 करोड़ से अधिक मतदाता हैं, और विभिन्न सूचियों के इस्तेमाल से कई नागरिकों को परेशानी हो सकती है।
भाजपा को छोड़कर अधिकांश राजनीतिक दलों ने इस समय को अनुचित बताया है। उनका कहना है कि एलएसजी चुनाव अभियान के दौरान बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं और एजेंटों को नियुक्त करना मुश्किल होगा।
इस बीच, राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी डॉ. रतन यू. केलकर ने कहा कि प्रक्रिया “सरल और मतदाता-अनुकूल” होगी। उन्होंने भरोसा दिलाया कि केरल में बिहार जैसे भ्रम की स्थिति नहीं बनेगी।
डॉ. केलकर ने बताया कि इस संशोधन का आधार वर्ष 2002 की मतदाता सूची होगी, जिसमें 2.24 करोड़ नाम थे, जबकि 2025 में यह संख्या 2.78 करोड़ तक पहुँच गई है। उन्होंने सभी राजनीतिक दलों से सहयोग की अपील की ताकि यह प्रक्रिया सुचारू रूप से पूरी की जा सके।


