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असदुद्दीन ओवैसी पर हमले की किसी भी बड़ी पार्टी के नेता ने निंदा क्यों नहीं की?

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में प्रचार करके वापस लौट रहें ऑल इंडिया मजलिस इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के राष्ट्रीय अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी पर हुए कायराना हमले के बाद से सत्ता पक्ष से लेकर विपक्ष तक ख़ामोशी हैं।

असदुद्दीन ओवैसी सिर्फ़ हिंदुस्तान ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर के नेता हैं. यह वही ओवैसी हैं जिन्होंने पाकिस्तान में जाकर वहा के नेताओं को करारा जवाब दिया था।

यह वहीं ओवैसी हैं जो अपने राजनीतिक विरोधी को अपना दुश्मन नहीं बल्कि सिर्फ अपना प्रतिद्वंदी समझते हैं और आज जब ऐसे व्यक्ति पर जानलेवा हमला होता हैं तो तथाकथित सेक्युलर पार्टी के नेता समेत सत्ता पक्ष के मुंह में दही जम जाती हैं।

देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जो एक क्रिकेटर के अंगूठे में चोट लगने का भी ट्विट करते हैं वह असदुद्दीन ओवैसी पर इतने बड़े हमले पर चुप रहते हैं. बल्कि अपने नेताओं को जन्मदिन की बधाई देना नहीं भूलते।

राहुल गांधी गोवा चुनाव की विडीयो तो जमकर शेयर करते हैं लेकिन जिस संसद में खड़े होकर वह भाषण देते हैं उसी संसद सदस्य पर हुए हमले पर चुप रहते हैं।

उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती अपने चुनावी शेड्यूल को तो ट्विट कर सकती हैं लेकिन ओवैसी पर हुए हमले की निंदा नहीं करतीं हैं।

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव भाई चारे की बात तो करते हैं लेकिन जब असदुद्दीन ओवैसी के साथ भाई चारा निभाने की बात आती हैं तो ख़ामोश हो जाते हैं।

इसके साथ साथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी, जयंत चौधरी समेत तमाम बड़े नेता भी इस हमले पर ख़ामोश रहते हैं।

सोशल एक्टिविस्ट जफर सैफी ने तथाकथित सेक्युलर नेताओं पर निशाना साधते हुए कहा कि “अगर असदुद्दीन ओवैसी पर हुए हमले की निंदा की तो हिंदू वोट कट जायेंगे।”

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