बिट्टू बजरंगी सब्ज़ी बेचा करता था, उसे लगा कि इस कारोबार में मेहनत ज्यादा है. इसलिये उसने बाट तराजू ठेला किनारे किया, बाल मुंडवाए, भगवा वस्त्र धारण किया और धर्म के ‘काम’ में लग गया. अब उसका धंधा बढ़िया चल रहा है।
बहुतों के लिए वह ‘धर्म योद्धा’ है, जो ‘दूसरे’ संप्रदाय के लोगों के ख़िलाफ नफ़रत फैलाकर, उन पर भद्दी टिप्पणियां करके धर्म की ‘सेवा’ कर रहा है।
हर्ष छिकारा ने अपने एक वीडियो में बताया कि मोनू मानेसर ‘यमराज’ लिखी चोरी की बाइक पर घूमा करता था, राहज़नी भी किया करता था, रात को वह सड़क पर घूमता था, ताकि उसे आपदा में अवसर मिल सके, नहीं समझे न, कहने का मतलब यह कि अगर सड़क पर कोई दुर्घटना हो जाए तो और उसकी सूचना मोनू को मिल जाए तो यह घायल अवस्था में पड़े लोगों के मोबाइल, पर्स आदि चुरा लिया करता।
कुछ दिनों तक इसका धंधा चलता रहा, लेकिन फिर मोनू को लगा कि कुछ बड़ा किया जाए, तब ये इसने गाय की रक्षा करने बीड़ा उठाया।
इस धंधे ने ज़ोर पकड़ा, आज इसके पास करोड़ों की संपत्ति है, मोनू को बदनामी और शोहरत दोनों मिलीं, सियासी गलियारों में भी इसे पहचान मिली।
हथियारों के साथ फोटो खिंचाना, अपने द्वारा किए गए ‘धार्मिक कार्य’ जिसमें किसी इंसान को पीट-पीटकर अधमरा करके उसका वीडियो बनाना और फिर उन सबको सोशल मीडिया पर पोस्ट करना, यह सब इसकी दिनचर्या बन गया।
चूंकि धर्म के नाम पर उगे संगठनों ने धर्म को नए तरीक़े से परिचित कराया है, मिसाल के तौर पर अगर आप सद्धभाव सौहार्द की बातें करते हैं, धार्मिक भी हैं, तो एक विचारधारा विशेष के लोग आपको ‘धर्म द्रोही’ कहेंगे और यदि आप ‘दूसरों’ को मारने काटने की बात करोगे तो आपको ‘हीरो’ की तरह सम्मानित किया जाएगा।
ऐसा ही मोनू मानेसर के साथ हुआ, वह अब उन संगठनों के लोगों के लोगों के लिए ‘वीर’ है जिन संगठनों का काम ही समाज में सौहार्द को नुकसान पहुंचाना रहा है, उसके द्वारा ‘दूसरे’ इंसानों के साथ की गई हिंसा ने उसका वह अतीत छुपा दिया, जिस अतीत का ज़िक्र ऊपर किया गया है, और जिसका ज़िक्र हर्ष छिकारा ने अपने वीडियो में सबूतों के साथ किया है, इस विडंबना ही कहा जाएगा कि ऐसे अपराधिक प्रवृत्ति के लोग इन दिनों ‘धर्म के ठेकेदार’ हैं।
(साभार: वसीम अकरम त्यागी के ट्विटर से)