हिंदुस्तान की राजधानी दिल्ली में लगातार उर्दू भाषा को मिटाने की साज़िश रची जा रहीं हैं. कभी साईन बोर्ड से उर्दू हटाई जा रहीं हैं तो कभी उर्दू विभाग की नियुक्ति रोकी जा रहीं हैं।
खबरों के मुताबिक़ दिल्ली की उर्दू एकेडमी में 55 में से 30 पद खाली हैं. काफ़ी समय से इन पदों के लिए नियुक्ति नहीं हो रहीं हैं।
पूर्ण कालिक सचिव, उप सचिव, सहायक सचिव, प्रकाशन अधिकारी, लाइब्रेरियन एवं संपादक जैसे महत्वपूर्ण पद खाली हैं।
ऑल इंडिया मजलिस इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष कलीमुल हफीज़ ने इस मुद्दे को उठाते हुए कहा हैं कि “अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली उर्दू अकेडमी का बेड़ा ग़र्क़ कर दिया. 55 पदों में सिर्फ़ 25 काम कर रहे हैं और उर्दू ना जानने वाला शख़्स अकेडमी का वाइस चेयरमैन है।”
अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली उर्दू अकेडमी का बेड़ा ग़र्क़ कर दिया
पूर्ण कालिक सचिव, उप सचिव, सहायक सचिव, प्रकाशन अधिकारी, लाइब्रेरियन, संपादक जैसे महत्वपूर्ण पद भी नियुक्ति को तरस रहे हैं
55 पदों में सिर्फ़ 25 काम कर रहे हैं और उर्दू ना जाननेवाला शख़्स अकेडमी का वाइस चेयरमैन है pic.twitter.com/GJerNZLYw7
— Kaleemul Hafeez (@KaleemulHafeez) February 21, 2022
कलीमुल हफीज़ ने कहा, दिल्ली में उर्दू भाषा को दूसरी भाषा का दर्जा दिए जाने के बाद भी सरकारी विभाग उर्दू की अनदेखी कर रहे हैं. उर्दू में जमा किए गए अधिकांश आवेदनों को कूड़ेदान में फेंक दिया जाता है. कार्यालय बोर्डों और अधिकारियों के नाम पट्ट भी उर्दू में बहुत कम देखने को मिलते हैं।
दिल्ली पुलिस स्टेशनों पर उर्दू में भी नाम लिखे गए. लेकिन अब जब नए बोर्ड लग रहे हैं तो उर्दू गायब हो गई है. दूसरा अन्याय यह है कि थाने के अंदर अगर उर्दू में कुछ लिखा भी है तो उसमें कई गलतियां हैं.उर्दू के प्रति यह क्रूर और कट्टर रवैया एक सोची समझी साजिश है।