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स्वामी के चरणों में गिरे अखिलेश, दलित नेता बोले “अखिलेश यादव ने आरक्षण विरोधियों से हाथ मिला लिया है”

समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव 2022 के विधानसभा चुनाव की तैयारी में पूरी तरह से जुट गए हैं।
वह लागातार पूरे उत्तर प्रदेश का भ्रमण कर रहे हैं। वह न सिर्फ लोगों से मिल रहे हैं बल्कि अलग अलग धार्मिक स्थलों पर भी जा रहे हैं।

अपने इसी दौरे के अंतर्गत कल उन्होंने उत्तराखंड के जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी से भेंट की। उन्होंने स्वामी जी के चरण स्पर्श भी किये। स्वामी जी के चरणों में माथा भी टेका। स्वामी जी के चरणों में माथा टेकते हुए तसवीर भी उन्होंने फेसबुक और ट्विटर पर पोस्ट किया।

अखिलेश यादव के इस दौरे के बाद कई सोशल एक्टिविस्ट और दलित नेता उनकी आलोचना भी कर रहे हैं। पत्रकार और दलित चिंतक दिलीप मंडल ने उनके उस ट्वीट को रिट्वीट करते हुए लिखा है कि “सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव तीन बार यूपी के मुख्यमंत्री रहे। देश के रक्षा मंत्री रहे। प्रधानमंत्री की कुर्सी के क़रीब पहुँचे। वे कभी किसी बाबा के पैरों के नीचे नहीं बैठे। हमेशा बराबरी पर बैठे। अखिलेश यादव के सलाहकारों को सोचना चाहिए कि ये कैसी इमेज बन रही है।”

दिलीप मंडल यहीं नहीं रुके उन्होंने इसपर ताबड़तोड़ कई ट्वीट किए। उन्होंने आगे लिखा है कि ” राजनीति तब और अब: आज अखिलेश यादव जिस शंकराचार्य स्वरूपानन्द के पैर पकड़ रहे हैं, उन्हें मुख्यमंत्री मुलायम सिंह जी ने 7 मई, 1990 को आज़मगढ़ में गिरफ़्तार करवाया था। पूरा यूपी शांत रहा। केंद्र में वीपी सिंह की सरकार थी। स्वरूपानन्द अयोध्या में जबरन शिलान्यास करने जा रहे थे।”

दलित एक्टिविस्ट ‘कुश अम्बेडकरवादी’ अखिलेश यादव पर निशाना साधते हुए लिखा है कि “अखिलेश यादव ने आरक्षण विरोधियों से हाथ मिला लिया है”

आपको बता दें कि अखिलेश यादव ने जिस स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी के चरणों में माथा टेका है उनका विवादों से काफी गहरा नाता है। उन्होंने कई बार SC ST एक्ट और आरक्षण के विरुद्ध बयान दिया है। दलितों को मंदिर में प्रवेश नहीं दिए जाने को सही कहने पर 2014 में रांची में उनके ऊपर FIR भी दर्ज हुआ था।

SC, ST, OBC और माइनॉरिटी वर्ग की राजनीति करने वाले समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव को स्वामी के चरणों में माथा टेकना कितना महंगा पड़ेगा ये आने वाला वक़्त ही बताएगा। किंतु अखिलेश यादव का दलित और आरक्षण विरोधी स्वामी से मिलना उनके कोर वोटरों को ग़लत संदेश दे रहा है।

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