उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में 35 वर्षीय मोहम्मद फ़रीद की भीड़ द्वारा कथित तौर पर पीट-पीटकर हत्या करने के दस दिन बाद पुलिस ने मृतक, उनके भाई और 6 अन्य लोगों के खिलाफ़ एफ़आईआर दर्ज की हैं।
एफ़आईआर आईपीसी की धारा 395 ( डकैती ) और 354 ( महिला पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग) के तहत दर्ज की गई है. आरोप है कि, कपड़ा व्यापारी मुकेश चंद मित्तल की पत्नी ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया है कि फरीद, उसके भाई जकी और उनके साथियों ने उनके घर में डकैती डाली हैं।
महिला का आरोप है कि फरीद ने उसे बंदूक की नोक पर धमकाया, उसकी सोने की चेन छीन ली और उससे 2.5 लाख रुपये नकद और आभूषण छीन लिए।
डीएसपी राकेश सिसोदिया का कहना है कि शिकायत के आधार पर फरीद समेत सात लोगों और दो अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है। फरीद की कथित तौर पर भीड़ द्वारा पिटाई के बाद मौत हो गई थी तथा मामले की जांच की जा रही है।
पत्रकार वसीम अकरम त्यागी के मुताबिक, अलीगढ़ में मोहम्मद फ़रीद उर्फ औरंगज़ेब को लिंच करके मार दिया गया था। लिंचिंग जैसे जघन्य अपराध के आरोपितों के समर्थन अलीगढ़ की पूरी भाजपा सड़क पर उतर आई और थाने का घेराव किया। ज़ाहिर है यह पुलिस पर दबाव बनाने के लिए ही किया गया था।
अब अलीगढ़ पुलिस ने मृतक मोहम्मद फ़रीद के साथ-साथ आठ अन्य लोगों पर डकैती जैसी गंभीर धाराओं में मुक़दमा दर्ज किया है। योगी सरकार में होते इस ज़ुल्म के ख़िलाफ NDA की खामोशी समझ में आती है लेकिन PDA और समूचा INDIA क्यों खामोश है?
डीजीपी साहब आपकी यूपी पुलिस ऐसे कृत्य क्यों कर रही है? सोचिए! अगर मृतक हिंदी नामधारी होता और आरोपी उर्दू नामधारी होते तब क्या होता? तब यही पुलिस उनमें से कईयों के एनकाउंटर कर चुकी होती उनके घरों पर बुलडोज़र चलाकर सामूहिक दंड दे चुकी होती। लेकिन यहां सत्ताधारी दल बीजेपी के ‘दबाव’ में ज़ालिम को मज़लूम और मज़लूम को ज़ालिम बनाने का षडयंत्र कर रही है। ऐसी व्यवस्था जहां ज़ालिम को ही मज़लूम बनाया जाए उस व्यवस्था पर सिर्फ लानत ही भेजी जा सकती है।