असम में कड़कड़ाती ठंड के बीच प्रशासन द्वारा मुस्लिमों को घर और संपत्तियों को निशाना बनाकर बुल्डोजर से तोड़ा जा रहा हैं, इस ख़बर को कोई भी मीडिया नहीं दिखा रहीं हैं।
इस मामले पर तृणमूल कांग्रेस के पूर्व सांसद अहमद हसन इमरान ने आवाज़ उठाते हुए राजनीतिक दलों और सामाजिक कार्यकर्ताओं को पत्र लिखा हैं।
अहमद हसन इमरान ने आरोप लगाया हैं कि भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली असम सरकार ने दूसरी बार सत्ता संभालते ही मुस्लिमों को अलग-थलग करने की राजनीति शुरू कर दी. बुलडोज़र के ज़रिए सैकड़ों मुस्लिम परिवारों को उनके घरों से उजाड़ दिया गया।
अतिक्रमण के नाम पर केवल मुस्लिम बहुल इलाकों में ही कार्यवाही की जा रहीं हैं. असम सरकार का घोर भेदभावपूर्ण बेदखली अभियान पर विपक्षी राजनीतिक दलों की गुप्त चुप्पी पर भी सांसद ने सवाल उठाते हुए कहा कि, सभी पीड़ित देश के वास्तविक नागरिक हैं क्योंकि उनके नाम संशोधित एनआरसी में हैं।
पत्र में लिखा है कि, जिन घरों को तोड़ा गया हैं वहां पर 70-80 सालों से लोग रह रहे थे और उनमें से ज्यादातर सरकार को टैक्स भी देते थे।
पूर्व सांसद ने पत्र में असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा का ज़िक्र करते हुए लिखा है कि, उनके नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने मुसलमानों के खिलाफ कई अत्याचार किए हैं, जैसे कि राज्य द्वारा वित्त पोषित मदरसा संस्थानों को बंद करना, निजी मदरसों तक को कुचलना और झूठे पुलिस मुठभेड़ों में मुस्लिम युवकों की हत्या करना आदि।
इसके अलावा हिमंत बिस्वा सरमा की निगरानी में हजारों मुसलमानों को उनके गांवों से बेदखल भी किया जा रहा है।