भारत को विश्व गुरु बनाने वाली सरकार को जमीनी हकीकत की बिलकुल भी जानकारी नहीं हैं, अगर उनको जमीनी हकीकत की सच्चाई होती तो पहले शिक्षा व्यवस्था में सुधार किया जाता न की जुमला दिया जाता।
संसद के हवाले से आई रिर्पोट के मुताबिक, भारत के एक लाख से ज्यादा स्कूलों में सिर्फ एक टीचर हैं. जिससे पता चलता हैं कि, इस समय देशभर में बड़े पैमाने पर शिक्षकों के पद खाली हैं जिनको सत्ता में बैठे लोग जानबूझ कर नहीं भरना चाहते।
हालांकि केंद्र सरकार ने 2023-24 में शिक्षा के लिए 1.13 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए जो 2022-23 की तुलना में 8.3 फीसदी बढ़ गया है. लेकीन सवाल वहीं हैं कि ज़मीनी स्तर पर कितना खर्च किया जाएगा?
इसके अलावा रिर्पोट के ज़रिए जानकारी मिली हैं कि लाखों स्कूल अभी भी इंटरनेट कनेक्टिविटी से दूर हैं जो डिजिटल इंडिया पर भी सवालिया निशान खड़े करता हैं।
सबसे ज्यादा खराब छात्र-शिक्षक अनुपात वाले राज्य उत्तर प्रदेश और बिहार हैं जो क्षेत्रफल एवं आबादी दोनों के हिसाब से बड़े हैं।