जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पर संतोष जताया और कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने जो कहा है, वही बात जमीयत उलमा-ए-हिंद शुरू से कहती रही है कि धर्म के आधार पर किसी के भी साथ दुर्व्यवहार अत्याचार नहीं होना चाहिए क्योंकि कानून की नजर में सभी बराबर हैं, उन्होंने कहा कि जब दुखद तथ्य सामने आने लगे की पक्षपात के आधार पर बुलडोजर चलाया जा रहा है और कानून की आड़ में एक विशेष संप्रदाय को निशाना बनाया जा रहा है,तो जमीयत उलमा-ए-हिंद को न्याय के लिए सुप्रीम कोर्ट जाने के लिए मजबूर होना पड़ा।
अदालत ने कहा कि यह एक धर्मनिरपेक्ष देश है, इसलिए धर्म के आधार पर किसी के साथ दुर्व्यवहार की इजाजत नहीं दी जा सकती। आशा है की अदालत का एक निर्णय होगा जो गरीबों और पीड़ितों के पक्ष में होगा।
उन्होंने कहा की कल सुप्रीम कोर्ट ने राज्य में बस्तियों को उजाड़ने पर असम सरकार को नोटिस भेजा है इससे यह उम्मीद हुई है की इंशा अल्लाह अदालत का कोई ऐसा फैसला आयेगा जो गरीबों पीड़ितो के हक में होगा और जो साम्प्रदायिक लोग धर्म के आधार पर भेदभाव करते हैं और बिना परवाह किए बुलडोजर चलाने का आदेश देते हैं।
जमीयत उलमा हिंद की ओर वरिष्ट अधिवक्ता डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी, सीयू सिंह, गौरव अग्रवाल आज अदालत में पेश हुए, जबकि सहायक वकील, एडवोकेट सारिम नवीद, एडवोकेट शाहिद नदीम, एडवोकेट दानियाल, एडवोकेट आरिफ अली, एडवोकेट मुजाहिद अहमद, एडवोकेट वासिफ रहमान खान और अन्य लोग आज अदालत में उपस्थित हुए।