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आतंकवादियों को फंड मुहैया कराने के आरोप में गिरफ़्तार जावेद अहमद को कोर्ट ने दी ज़मानत, पुलीस एक भी सबूत नहीं पेश कर पाई

आतंकवाद के आरोप में बेकसूर मुसलमानों को फसाने का सिलसिला काफ़ी पुराना हैं, कहीं भी कोई दंगा या बम धमाका होता हैं तो सबसे पहले मुसलमानों को ही गिरफ़्तार किया जाता हैं, उसके बाद कई साल जेल में रखने के बाद कोर्ट उन्हें सबूतों के अभाव में बरी कर देता हैं।

ताज़ा मामला जम्मू कश्मीर के रहने वाले जावेद अहमद लोन का हैं इनको एनआईए ने आतंकवादियों को फंड मुहैया कराने के आरोप में अगस्त 2021 में गिरफ़्तार किया था।

जावेद अहमद जमात ए इस्लामी जम्मू कश्मीर के ज़िला हेड भी थे, इनको एनआईए और जम्मू कश्मीर पुलीस इनके आवास पर छापेमारी कर गिरफ्तार किया था।

एनआईए ने जावेद पर विदेशी मुल्कों से चंदा लेने का भी आरोप लगाया था तथा इनके ऊपर आतंकवाद से जुड़ी हुईं धाराओं के साथ साथ यूएपीए जैसा कड़ा कानून भी लगाया था।

दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट स्थित एनआईए की स्पेशल अदालत ने जावेद की ज़मानत मंजूर करते हुए कहा कि, पुलीस जावेद के खिलाफ एक भी गवाह पेश नहीं कर पाई इसलिए इनकी ज़मानत याचिका मंजूर की जाती हैं।

जावेद के वकील अबूबक्र का कहना हैं कि, पुलीस ने जिन दो गवाहों के बयान चार्जशीट में दर्ज़ किए हैं वह कहते हैं कि पुलीस को उनके पास से कोई हथियार नहीं मिला था जबकि पुलीस का कहना हैं कि हथियार मिला था. इसलिए यह केस यहीं से ही गलत लगता हैं।

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