Journo Mirror
भारत

मुसलमानों के साथ हो रहे धार्मिक भेदभाव के कारण विश्व फ्रीडम रैंकिंग में फिर फिसला भारत का स्थान

फ्रीडम हाउस नामक विश्व की एक आज़ाद संस्था ने अपनी रिपोर्ट पेश की है। कोई भी देश अपने नागरिकों को कितनी स्वतंत्रता देता है इसी पर इस संस्था ने एक रिपोर्ट तैयार की है। इस संस्था ने 2006 में भी ऐसी ही एक रिपोर्ट पेश की थी।

किसी भी देश में वहां के नागरिकों को कितनी स्वतंत्रता है इसका आंकलन ये संस्था विभिन्न बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए करती है। जैसे कि किसी भी देश में किस व्यक्ति को कितनी धार्मिक स्वतंत्रता है, व्यक्तिगत विचार रखने की कितनी स्वतंत्रता है, मीडिया की कितनी स्वतंत्रता है। ऐसे ही तमाम बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए इस संस्था ने एक विस्तृत रिपोर्ट पेश की है।

भारत के लिए ये रिपोर्ट इसलिए चिंताजनक है क्योंकि 2006 के मुकाबले में इस बार भारत को 9 अंक कम मिले हैं। इस बार भारत को 100 में से 67 अंक मिले हैं जबकि 2006 में 76 अंक दिए गए थे।

रिपोर्ट में इस बात का साफ तौर से उल्लेख किया गया है कि 2014 के बाद जबसे भाजपा की सरकार आयी है तब से देश में ख़ासकर मुसलमानों के साथ धार्मिक भेदभाव किया जा रहा है।

इस रिपोर्ट में ये भी लिखा गया है कि जिस तरह से CAA प्रोटेस्ट के दौरान मुसलमान नागरिकों और छात्रों को निशाना बनाया गया है ये एक लोकतांत्रिक देश के लिए सही नहीं है।

रिपोर्ट में दिल्ली दंगों का भी ज़िक्र किया गया है और साफ तौर से ये लिखा गया है कि दिल्ली दंगों में जिस तरह से ज़्यादातर मुसलमानों की जान गई है और पुलिस की एक तरफा कार्यवाही से छात्रों और आंदोलनकारियों को गिरफ्तार किया गया, इससे भी कही न कहीं विश्व में भारत की स्वतंत्रता को झटका लगा है।

रिपोर्ट में इस बात का भी ज़िक्र किया गया है कि जिस तरह से 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस के आरोपियों को स्पेशल कोर्ट के द्वारा छोड़ा गया और बाबरी मस्जिद निर्माण में नरेंद्र मोदी ने समर्थन दिया है ये भी भारत की धार्मिक स्वतंत्रता को ठेस पहुंचती है।

Related posts

Leave a Comment