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बटला हाऊस इन्काउन्टर का सच सामने नही लाना चाहती सरकारें, जांच हाने तक संघर्ष जारी रहेगा: राष्ट्रीय ओलमा कौन्सिल

19 सितम्बर को बटला हाउस फर्जी एनकाउंटर कि चौदहवीं बर्सी के मौके पर राष्ट्रीय ओलमा कौन्सिल के नेताओं व कार्यकर्ताओं ने न्याययिक जांच की मांग को लेकर प्रदर्शन किया तथा प्रधानमंत्री के नाम डीएम को ज्ञापन सौंपा।

ज्ञापन में बटला हाउस एनकाउंटर की न्यायिक जांच की मांग की गयी है, इस अवसर पर राष्ट्रीय ओलमा कौन्सिल के राष्ट्रीय प्रवक्ता एडवोकेट तलहा रशादी ने कहा कि, ‘‘2008 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार के गृह मंत्री के इशारे पर दिल्ली पुलिस द्वारा सरकार की किरकिरी होने से बचाने व मुस्लिम नौजवानो को बलि का बकरा बनाने की नियत से साजिश रच कर 19 सितम्बर, 2008 को दिल्ली के बटला हाऊस में फर्ज़ी मुदभेड़ के दौरान दो बेकसूर मुस्लिम नौजावान आतिफ व साजिद के साथ एक जांबाज़ पुलिस इंस्पेक्टर को मौत के घाट उतार दिया गया था।

इस एनकाउंटर के बाद अनेक मुस्लिम नौजवानो को इस केस में फंसा कर उनकी जिंदगीयां बर्बाद कर दी गई. इस फर्ज़ी एनकाउंटर के खिलाफ राष्ट्रीय ओलमा कौन्सिल ने आज़मगढ़ से लेकर दिल्ली तक जोरदार विरोध दर्शाया था और आज भी जारी है।

तल्हा रशादी का कहना है कि, इस कांड की न्याययिक जांच कराई जाए जिसे ना सिर्फ मुस्लमानो अपितु मुल्क के हर न्याय प्रिय नागरिक यही चाहता हैं और हर दिशा से न्याययिक जांच के लिए आवाज़े उठने भी लगी हाय. लेकिन य0ुपी0ए0 की केन्द्रीय सरकार ने इस इन्काउन्टर की न्याययिक जांच न कराकर लोकतंत्र का गला घोंठ दिया था।

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