हज़रतबल दरगाह में हुई घटना को लेकर लगभग तीस लोगों की गिरफ्तारी पर जम्मू-कश्मीर से सांसद आगा सैयद रूहुल्लाह महदी ने गहरी नाराज़गी और अफ़सोस जताया है।
उन्होंने कहा कि ऐसे समय में जब प्रशासन से मेल-मिलाप और सहानुभूति की उम्मीद थी, तब पुलिस कार्रवाई ने केवल प्रतिशोध का रूप अख़्तियार किया है।
महदी ने कहा कि इस पूरे मामले को “राष्ट्रवाद की कसौटी” में बदलना दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा, “भारत की पहचान सह-अस्तित्व की है, जहां धार्मिक और सांस्कृतिक भावनाएं राष्ट्रीय पहचान के खिलाफ़ नहीं बल्कि उसे मज़बूत करने वाली होती हैं।
दरगाह में उभरी स्वाभाविक भावनाओं को ‘राष्ट्र-विरोधी’ बताना संविधान और उसके मूल्यों का अपमान है।”
उन्होंने साफ़ किया कि यहां विवाद राष्ट्रीय प्रतीक (National Emblem) की प्रतिष्ठा पर नहीं है, बल्कि उसे हज़रतबल दरगाह के भीतर लगाने के संदर्भ पर है।
महदी के अनुसार, “सिर्फ़ शिलान्यास पट्टिका के तोड़फोड़ की बात करना और वहां की धार्मिक भावनाओं की अनदेखी करना दुर्भाग्यपूर्ण है।”
महदी ने सवाल उठाया कि जब राष्ट्रीय प्रतीक के उपयोग को लेकर कानून मौजूद है, तो धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने और समाज में वैमनस्य फैलाने वालों पर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही। उन्होंने कहा कि दरगाह की पवित्रता को ठेस पहुँचाने की ज़िम्मेदारी उन लोगों पर है, जिन्होंने यह विवाद पैदा किया।
उन्होंने स्पष्ट किया कि यह किसी अन्य धर्म की मान्यताओं या पूजा पद्धति की आलोचना नहीं है। बल्कि इस्लाम के अनुसार मस्जिदों और धार्मिक स्थलों पर जीवित प्राणियों की आकृति या प्रतीक का चित्रण सख़्ती से निषिद्ध है।
अंत में महदी ने कहा कि गिरफ्तार किए गए लोगों को जल्द से जल्द रिहा किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, “मैं उनके साथ और उनके परिवारों के साथ खड़ा हूँ। उम्मीद है कि हालात को समझदारी से संभाला जाएगा।”

