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ममता बनर्जी सरकार ने ‘पश्चिम बंगाल पब्लिक सर्विस कमीशन’ की परीक्षा से उर्दू हटाई

मुसलमानों की वजह से सरकार बनाने वाली पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल पब्लिक सर्विस कमीशन की परीक्षा से उर्दू भाषा को हटा दिया हैं।

ममता बनर्जी के एक फैसले ने बंगाल के मुसलमानों को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आख़िर ममता बनर्जी सरकार ने यह फैसला क्यों लिया? इस फैसले के बाद से बंगाल में उर्दू पढ़ने वाले बच्चे सरकारी सेवा की परीक्षा नहीं दे पाएंगे।

कोलकात्ता गजट के एक नोटिफिकेशन के मुताबिक़, ममता बनर्जी सरकार ने पश्चिम बंगाल पब्लिक सर्विस कमीशन रिक्रूमेंट रूल 1978 में बदलाव करते हुए परीक्षा से उर्दू हटा दी है, जिसके कारण प्रदेश की अफसरशाही से उर्दू पढ़ने वाले दूर हो जाएंगे।

इस बदलाव के बाद से छात्रों को उर्दू की जगह 300 नंबर के बंगला या नेपाली भाषा की परीक्षा को पास करना होगा।

आपको बता दें कि, उर्दू पश्चिमी बंगाल में दूसरी सरकारी भाषा हैं उसके बावजूद उर्दू को नजरंदाज करना कई सवाल खड़े कर रहा हैं।

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